सार

असम और मिजोरम की सीमा पर 25 जुलाई को हुए खूनी संघर्ष बाद दोनों राज्य सतर्कता बरत रहे हैं। इस बीच असम के लोगों को बहुत जरूरी न होने पर मिजोरम नहीं जाने की एडवायजरी जारी की गई है।

नई दिल्ली. जमीन को लेकर 25 जुलाई को असम और मिजोरम की सीमा पर हुए खूनी संघर्ष के बाद दोनों राज्य सावधानी बरत रहे हैं। इस बीच असम के लोगों को मिजोरम नहीं जाने की सलाह दी गई है। ऐसा संभवत: पहली बार हुआ है, जब एक राज्य के लोगों को दूसरे राज्य में जाने से रोकना पड़ रहा है। असम के गृह सचिव एमएस मणिवन्नन ने यह एडवायजरी करते हुए कहा कि खतरे की आशंका को देखते हुए यह सलाह दी गई है।

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सीमावर्ती इलाकों में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल तैनात
हिंसा के बाद राज्य सरकारों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 306 पर अशांत अंतरराज्यीय सीमा पर तटस्थ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती की है। इसके अलावा, बल के कामकाज को सुविधाजनक बनाने के लिए दोनों राज्य सरकारें उचित समय सीमा में केंद्रीय गृह मंत्रालय के समन्वय से व्यवस्था करेंगी। वहीं, असम द्वारा जारी एक अन्य आदेश में कामरूप मेट्रो और कछार के पुलिस उपायुक्तों, गुवाहाटी पुलिस आयुक्त और कछार पुलिस अधीक्षक को राज्य में मिजोरम के लोगों और गुवाहाटी तथा सिचलर में मिजोरम हाउसेस में रह रहे लोगों की सुरक्षा पर ध्यान देने को कहा है।

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चीन के षड्यंत्र की बू
इस हिंसा के पीछे चीन का षड्यंत्र भी सामने आ रहा है। twitter पर इस दौरान ShameOnMizoram और SameOnAssam दो ऐसे हैशटैग चलाए जा रहे हैं, जिनका मकसद दोनों राज्यों के लोगों को भड़काना है। बता दें कि इस हिंसा को लेकर अब भी तनाव बना हुआ है। दोनों राज्यों के लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हुए चीन की धरती से सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वाले पेड कैम्पेन चलाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर बैक टू बैक दो हैशटैग चले। दोनों ही हैशटैग एक-दूसरे राज्य के खिलाफ और कुछ पोस्टर मिजोरम में चीन के समर्थन के रूप में चलाए गए। (विस्तार से पढ़ने क्लिक करें)

(यह तस्वीर असम की है। कछार उपायुक्त कीर्ति जल्ली ने गुरुवार को राज्य के मंत्रियों के साथ मिजोरम के साथ सीमा संघर्ष में मारे गए मजरुल हक बरभुइया के परिजनों को 50 लाख रुपये का चेक सौंपा। मुआवजे के अलावा, परिजनों को सरकारी नौकरी की पेशकश की गई है।)