सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को अयोध्या मामले में सुनवाई खत्म हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट में 39 दिन में 165 घंटे सुनवाई हुई है। अयोध्या में मुस्लिम शासक बाबर ने 1528 में बाबरी मस्जिद बनवाई थी।
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को अयोध्या मामले में सुनवाई खत्म हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट में 39 दिन में 165 घंटे सुनवाई हुई है। अयोध्या में मुस्लिम शासक बाबर ने 1528 में बाबरी मस्जिद बनवाई थी। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, इसी स्थान पर भगवान राम जन्मे थे। इस स्थान पर पहली बार 1813 में हिंदू-मुस्लिम विवाद तब हुआ, जब हिंदू संगठनों ने दावा किया कि यहां मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई। 1885 में पहली बार ये मुद्दा अदालत पहुंचा। अब 134 साल बाद दोनों पक्षों को उम्मीद जगी है कि इस मामले में फैसला आ जाएगा।
1813 में पहली बार हुआ विवाद
1528: बाबर ने यहां बाबरी मस्जिद बनवाई थी। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, इसी जगह पर भगवान राम जन्मे थे।
1813: हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई गई। इस दिन ही हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पहली हिंसा हुई थी।
1859: ब्रिटिश सरकार ने तारों की एक बाड़ खड़ी कर दी। अंदरूनी और बाहरी परिसर में मुस्लिमों-हिंदुओं को अलग-अलग पूजा-इबादत करने की इजाजत दी।
1885: ये मामला पहली बार अदालत पहुंचा। महंत रघुबर दास ने फैजाबाद अदालत में राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील की।
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1986 में हिंदुओं को पूजा की मिली अनुमति
1 फरवरी 1986: फैजाबाद जिला जज ने विवादित स्थल पर हिदुओं को पूजा की इजाजत दी। नाराज मुस्लिमों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई।
जून 1989: भाजपा ने वीएचपी को औपचारिक समर्थन दिया।
1 जुलाई 1989: पांचवा मुकदमा भगवान रामलला विराजमान नाम से दाखिल किया गया।
25 सितंबर 1990: तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली।
नवंबर 1990: आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार किया गया। भाजपा ने नाराज होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया।
अक्टूबर 1991: उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार ने बाबरी मस्जिद के आस-पास की 2.77 एकड़ भूमि को अधिकार में ले लिया।
6 दिसंबर 1992 को ढहाई गई बाबरी मस्जिद
6 दिसंबर 1992: हजारों कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर विवादित ढांचा ढहा दिया।
16 दिसंबर 1992: विवादित ढांचे की तोड़-फोड़ के लिए जिम्मेदार स्थितियों की जांच करने लिब्रहान आयोग बनाया गया।
जनवरी 2002: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यालय में अयोध्या विभाग शुरू किया, जिसका काम हिंदुओं और मुसलमानों से बातचीत के माध्यम से हल निकालना था।
अप्रैल 2002: हाईकोर्ट में अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू की।
मार्च-अगस्त 2003: इलाहबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की। सर्वेक्षण करने वाली टीम का का दावा था कि मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष मिले हैं।
सितंबर 2003: अदालत ने फैसला दिया कि मस्जिद विध्वंस के लिए उकसाने वाले 7 नेताओं के मामले में सुनवाई हो।
जुलाई 2009: लिब्रहान आयोग ने गठन के 17 साल बाद तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
2010: हाईकोर्ट का फैसला- अयोध्या सबकी

30 सितंबर 2010: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया। विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांटा गया, जिसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया।
9 मई 2011: इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी।
21 मार्च 2017: सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की बात कही।
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8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को इस मामले को बातचीत से सुलझाने के लिए मध्यस्थता समिति बनाई थी। समिति ने 18 जुलाई को मध्यस्थता पैनल ने स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी।
6 अगस्त : मध्यस्थता प्रक्रिया विफल होने के बाद 6 अगस्त से रोजाना सुनवाई कर रहा है सुप्रीम कोर्ट।
