सार

गेटवे ऑफ इंडिया को बनाने में 2.1 मिलियन का खर्च आया था। सिर्फ गुंबद के निर्माण में ही 21 लाख रुपए लग गए थे। यहां बाद में छत्रपति शिवाजी और स्वामी विवेकानंद की मूर्तियां स्थापित की गईं। यहां से गुजरने वाली सड़क का नाम छत्रपति शिवाजी मार्ग है।

Dil Se Desi : 15 अगस्त, 2022 को भारत की आजादी के 75 साल पूरे हो जाएंगे। इस पर्व को आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) के रुप में मनाया जा रहा है। इसकी शुरुआज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 75वें स्वतंत्रता दिवस (75th Independence Day) से 75 सप्ताह पहले की थी। इस खास मौके पर हम आपके लिए लेकर आए हैं उन मशहूर और यादगार स्मारक की कहानी, जो हिंदुस्तान की आन-बान और शान हैं। 'Dil Se Desi' सीरीज में बात मुंबई के ताजमहल गेटवे ऑफ इंडिया (Gateway Of India) की...

इंग्लैंड के राजा के आगमन पर निर्माण
गेटवे ऑफ इंडिया की नींव 31 मार्च, 1911 में रखी गई थी। तब इंग्लैंड के राजा जॉर्ज पंचम अपनी पत्नी रानी मेर्री के साथ भारत की यात्रा पर आए थे। मुंबई बंदरगाह पर उनके आने पर आर्किटेक्ट जॉर्ज विटेट ने किया। किंग जॉर्ज पंचम और उनकी पत्नी गेटवे ऑफ इंडिया का मॉडल ही देख पाए थे, क्योंकि तब इसका निर्माण ही शुरू नहीं हुआ था। इसका निर्माण 1924 में पूरा हुआ। 

8 मंजिला इमारत के बराबर ऊंचाई
गेटवे ऑफ इंडिया साउथ मुंबई में अरब सागर के पास अपोलो बंदरगाह क्षेत्र में हुआ है। यह गेटवे पीले बेसाल्ट और कंक्रीट से बनाया गया है। यह इंडो सरासेनिक शैली में डिजाइन की गई है। स्मारक के केंद्रीय गुंबद का व्यास करीब 48 फीट है। 83 फीट की कुल ऊंचाई है। गेटवे ऑफ इंडिया आठ मंजिल इमारत के बराबर ऊंचाई का बनाया गया है।

यहीं से वापस गई थी अंतिम ब्रिटिश सेना
गेटवे ऑफ इंडिया को मुंबई के ताजमहल कहा जाता है। इसका निर्माण भारत के प्रवेश द्वार और वापस जाने के लिए किया गया था। यह विशाल अरब सागर की ओर बनाया गया है। एलिफैंटा गुफाओं की ओर जाने के लिए यह एक प्रारंभिक केंद्र है। भारत की आजादी के बाद अंतिम ब्रिटिश सेना गेटवे ऑफ इंडिया में से ही होकर वापस यूरोप गई थी।

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