सार
नई दिल्ली। पूर्व पीएम शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से भारत और बांग्लादेश के संबंध खराब चल रहे हैं। इस बीच बांग्लादेश ने भारत से लगी सीमा पर Bayraktar TB2 ड्रोन तैनात कर दिया है। ये वही ड्रोन हैं जिनकी मदद से 2021 में नोगोर्नो-कराबाख की लड़ाई में अजरबैजान ने अर्मेनियाई सेना को हराया था। जानें भारत इस ड्रोन से पैदा हो रहे खतरे को लेकर कितना तैयार है।
तुर्की में बने Bayraktar TB2 ड्रोन का इस्तेमाल बांग्लादेशी सेना खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी करने और टोही मिशनों के लिए करती है। बांग्लादेश ने दावा किया है कि यह तैनाती रक्षा उद्देश्यों के लिए है। वहीं, भारत ने संवेदनशील क्षेत्र में ऐसे ड्रोन की तैनाती के रणनीतिक महत्व को नजरअंदाज नहीं किया है। BSF ने सीमा पर निगरानी तेज कर दी है। भारत की सेना के पास बांग्लादेश से लगी सीमा पर हेरॉन टीपी जैसे ड्रोन तैनात करने और संवेदनशील क्षेत्रों में ड्रोन-विरोधी अभियान तेज करने का विकल्प भी है।
300km तक हमला कर सकता है BAYRAKTAR TB2 ड्रोन
BAYRAKTAR TB2 ड्रोन हवा से जमीन पर हमला करने वाले मिसाइल से लैस है। यह 300 किलोमीटर दूर तक जाकर अटैक कर सकता है। इसकी अधिकतम रफ्तार 230 किलोमीटर प्रतिघंटा है। इसका वजन अमेरिका के MQ-9 Reaper ड्रोन से लगभग आठवां हिस्सा है। ये ड्रोन लेजर गाइडेड मिसाइल से आधुनिक टैंकों को तबाह कर सकते हैं। एक ड्रोन अपने साथ चार मिसाइल लेकर उड़ान भरता है। यह अधिकतम 150kg वजन लेकर उड़ान भर सकता है। इस ड्रोन पर इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल कैमरा मॉड्यूल, इन्फ्रारेड कैमरा मॉड्यूल, लेजर डेसिग्नेटर, लेजर रेंज फाइंडर और लेजर पॉइंटर लगाए जा सकते हैं।
भारत से लगी सीमा पर BAYRAKTAR TB2 ड्रोन की तैनाती का मतलब
भारत-बांग्लादेश सीमा पर BAYRAKTAR TB2 ड्रोन की तैनाती एक चुनौती हो सकती है। भारत अपनी सबसे लंबी सीमा बांग्लादेश के साथ शेयर करता है। सीमा पहाड़ों, नदियों और घने जंगलों से होकर गुजरती है। BAYRAKTAR TB2 आकार में छोटा है। यह आवाज भी कम करता है। इसके चलते इसे ट्रैक करना मुश्किल है। भारतीय उपमहाद्वीप में बांग्लादेश BAYRAKTAR TB2 का अकेला यूजर नहीं है। 2023 में पाकिस्तान ने तुर्की से BAYRAKTAR TB2 ड्रोन खरीदा था।
ड्रोन की बढ़ती चुनौती को लेकर भारत की कैसी है तैयारी?
अक्टूबर 2024 में भारत ने अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए 32 हजार करोड़ रुपए का सौदे किया था। भारत यूएस से MQ-9 Reaper ड्रोन खरीद रहा है। इससे तीनों सेनाओं की क्षमता बढ़ेगी। यह ड्रोन निगरानी करने और खुफिया जानकारी जुटाने के लिए अत्याधुनिक उपकरणों से लैस है। इसके साथ ही हमला करने लिए यह ड्रोन हेल्फायर मिसाइल और लेजर गाइडेड बम ले जाता है।
भारतीय सेना ने हाल ही में इजराइल से चार हेरोन मार्क-II ड्रोन लिया है। DRDO (Defence Research and Development Organisation) पिछले 13 सालों से 1,800 करोड़ रुपए का निवेश कर MALE श्रेणी का ड्रोन तापस BH-201 विकसित कर रहा है। तापस बीएच-201 को अभी तक भारतीय सेनाओं में शामिल नहीं किया गया है।
DRDO के अनुसार तापस ने 28 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान क्षमता हासिल की है। यह लगातार 24 घंटे उड़ान भर सकता है। यह 30,000 फीट की ऊंचाई चक जा सकता है। भारत एंटी-ड्रोन टेक्नोलॉजी पर भी काम कर रहा है। सेना के पास स्वदेशी लेजर आधारित ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम है। इसमें लेजर टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से ड्रोन को मार गिराने और जाम करने की क्षमता है। यह सात से आठ किलोमीटर की दूरी से ही ड्रोन को पहचान लेता है।
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