सार
बांग्लादेश ने दुर्गा पूजा के दौरान भारत को हिल्सा मछली के निर्यात पर रोक लगा दी है ताकि स्थानीय लोगों को यह मछली उपलब्ध हो सके। इससे बंगाल में हिल्सा की कीमतों में भारी वृद्धि होने की आशंका है, क्योंकि यह दुर्गा पूजा के दौरान एक महत्वपूर्ण व्यंजन है।
नई दिल्ली। बांग्लादेश सरकार ने साफ कर दिया है कि इस साल दुर्गा पूजा के दौरान भारत को हिल्सा (इलिश) मछली (Hilsa Fish) का निर्यात नहीं किया जाएगा। बंगाल में यह मछली बेहद पसंद की जाती है। दुर्गा पूजा के दौरान इसकी मांग अधिक होती है। लोग मां दुर्गा को यह मछली चढ़ाते हैं।
बांग्लादेश के मत्स्य पालन और पशुधन मंत्रालय की सलाहकार फरीदा अख्तर ने कहा है कि स्थानीय लोगों को हिल्सा मछली मिले इसके लिए दुर्गा पूजा के समय इसके निर्यात पर रोक लगाई गई है। उन्होंने कहा, "जब तक हमारे अपने लोग हिल्सा मछली खरीद नहीं सकते, हम इसे निर्यात करने की अनुमति नहीं दे सकते।"
बांग्लादेश में होता है दुनिया का 70-80% हिल्सा मछली उत्पादन
बता दें कि बांग्लादेश में दुनिया का 70-80% हिल्सा मछली उत्पादन होता है। हाल के वर्षों में बांग्लादेश ने दुर्गा पूजा के दौरान भारत को हिल्सा भेजा है। इस साल बैन लगाए जाने से बंगाल में हिल्सा मछली की कीमत आसमान छू सकती है।
बांग्लादेश से हिल्सा नहीं आने पर भारत को ओडिशा, म्यांमार और गुजरात जैसे स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ेगा। इससे कीमतों में भारी वृद्धि होने की उम्मीद है। दिल्ली में बांग्लादेश से आने वाली हिल्सा की कीमत 2200-2400 रुपए प्रति किलोग्राम है। इसमें और वृद्धि हो सकती है।
बंगाल में दुर्गा पूजा के दौरान होती है हिलसा की भारी मांग
बंगालियों के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक दुर्गा पूजा में हिल्सा मछली की भारी मांग होती है। पूजा अनुष्ठानों के दौरान लोग इस मछली को देवी दुर्गा को अर्पित करते हैं। परंपरागत रूप से हिल्सा खाने के मौसम का आखिरी दिन दशमी होता है।
क्या है हिल्सा मछली?
हिलसा या टेनुओलोसा इलीशा एक एनाड्रोमस मछली है। यह अपना अधिकांश जीवन समुद्र में बिताती है, लेकिन बरसात के मौसम में नदी के मुहाने की ओर चली जाती है। यह वह स्थान है जहां नदियां बंगाल की खाड़ी से मिलती हैं। इसके बाद नदी में ऊपर की ओर बढ़ती है और अंडे देती है। इसके बच्चे फिर समुद्र में चले जाते हैं और बड़े होते हैं। इसमें समुद्र और नदी के स्वाद का सबसे अच्छा मिश्रण होता है।
हिल्सा की कमी क्यों है?
हिल्सा मछली को बंगाल के लोग बहुत पसंद करते हैं। इसके चलते इसका भारी पैमाने पर शिकार किया गया है। इससे बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में हिल्सा मछली की संख्या में कमी आई है। इस इलाके में मशीनी ट्रॉलरों ने हिल्सा के भोजन (जूप्लांकटन और फाइटोप्लांकटन) को नष्ट कर दिया है। इससे क्षेत्र के इकोसिस्टम को नुकसान पहुंचा है। इसके चलते यह मछली कम होती जा रही है।
हिल्सा मछली के प्रजनन का समय अप्रैल से जून है। इस दौरान इसे पकड़ने पर रोक है। इसके बाद मछुआरे जाल के आकार की सीमा की अनदेखी करते हुए जितनी अधिक हो सके मछलियां पकड़ लेते हैं। वे 300-400 ग्राम वजन तक की छोटी मछली भी पकड़ लेते हैं। इससे उन्हें बढ़ने और प्रजनन करने का मौका नहीं मिलता। यही कारण है कि मछलियों की आबादी कम हो रही है।
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