बिहार चुनाव 2025: PM Modi ने बिहार के युवाओं को 62,000 करोड़ की सौगात दी, लेकिन असली सवाल ये है-कौन बनेगा सबसे बड़ा लाभार्थी? योजनाओं के पीछे छिपा हैरान करने वाला राज़, जो बदलेगा लाखों का भविष्य…जानिए पूरी डिटेल!
PM Modi Bihar Projects 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के युवाओं के लिए एक ऐतिहासिक पहल की है। उन्होंने 62,000 करोड़ रुपये की मेगा परियोजनाओं का शुभारंभ किया, जिनमें PM-सेतु योजना, मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता, कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय और कई स्किल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट शामिल हैं। इस कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी वर्चुअल तरीके से जुड़े। सवाल यह है कि क्या ये योजनाएँ युवाओं के लिए रोजगार और उज्ज्वल भविष्य की नई राह खोलेंगी, या फिर यह सिर्फ एक चुनावी घोषणा साबित होगी?
क्या सचमुच बिहार के युवाओं को मिलेगा रोज़गार का भरोसा?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बिहार में शिक्षा और रोजगार को जोड़ना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए PM-सेतु योजना के तहत 60,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। इस योजना से देशभर में 1,000 सरकारी आईटीआई को आधुनिक तकनीक और उद्योग आधारित स्किल्स से लैस किया जाएगा। बिहार के युवाओं को भी इसका सीधा फायदा मिलेगा।
मासिक भत्ता योजना से क्या बदल जाएगी बेरोजगारों की ज़िंदगी?
बिहार में संशोधित मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना भी शुरू की गई है। इसके तहत 5 लाख स्नातक युवाओं को दो साल तक हर महीने 1,000 रुपये दिए जाएंगे। सवाल यह है कि क्या यह भत्ता युवाओं को सही मायनों में आत्मनिर्भर बनाएगा या सिर्फ अस्थायी राहत देगा?
क्या स्किल यूनिवर्सिटी बदल पाएगी बिहार की तस्वीर?
प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार में जन नायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया। साथ ही, चार यूनिवर्सिटी में नई रिसर्च सुविधाओं की नींव रखी और बिहटा में NIT पटना का नया कैंपस भी लोकार्पित किया। यह सब पहलें शिक्षा और रिसर्च के क्षेत्र में बिहार को नई पहचान दिला सकती हैं।
देशभर में 1,200 स्किल लैब-युवाओं के लिए कितना फायदेमंद?
कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूलों में 1,200 व्यावसायिक स्किल लैब का भी शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह बड़ी घोषणा बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए उम्मीद जगाने वाली है। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या ये योजनाएं जमीनी स्तर पर सही ढंग से लागू होंगी और युवाओं को स्थायी रोज़गार का रास्ता दिखाएंगी, या फिर ये भी कागज़ों तक ही सीमित रह जाएंगी?
