सार
आजाद (Ghulam nabi azad) ने यह बात जम्मू कश्मीर (Jammu kashmir) के उधमपुर जिले (Udhampur District) में क्रिसमस कार्यक्रम में ईसाई समुदाय के बीच कही। उन्होंने कहा कि लोग तब धर्म परिवर्तन कराते हैं, जब वे किसी विशेष धर्म को मानवता की सेवा करते हुए देखते हैं, सबको साथ लेकर चलते हुए और भेदभाव नहीं करते हुए देखते हैं।
जम्मू। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने धर्मांतरण को गलत नहीं ठहराने वाला बयान दिया है। शनिवार को उन्होंने कहा कि धर्मांतरण करने वाला या कराने वाला दोनों ही गलत नहीं होते। अगर कोई लोगों का धर्म परिवर्तन कर रहा है तो वह तलवार का इस्तेमाल नहीं कर रहा। क्योंकि यह आजकल प्रचलन में नहीं है। आजाद ने कहा, ‘यह एक अच्छा काम है और वो व्यक्ति का चरित्र है, जो लोगों को प्रभावित कर रहा है।' कांग्रेस नेता का कहना है कि लोग प्रभावित होकर अपना धर्म बदलवाते हैं न कि किसी डर से ऐसा करते हैं।
क्रिसमस के कार्यक्रम में गए थे आजाद
आजाद ने यह बात जम्मू कश्मीर के उधमपुर जिले (Udhampur District) में क्रिसमस कार्यक्रम में ईसाई समुदाय के बीच कही। उन्होंने कहा कि लोग तब धर्म परिवर्तन कराते हैं, जब वे किसी विशेष धर्म को मानवता की सेवा करते हुए देखते हैं, सबको साथ लेकर चलते हुए और भेदभाव नहीं करते हुए देखते हैं।’ जम्मू-कश्मीर तत्कालीन ‘महाराजा’ (पूर्व डोगरा शासकों) के तहत वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था की तुलना में बेहतर था।
आज की सत्ता से अच्छे राजा-महाराजा थे
इसी साल जून में जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के तहत 149 साल पुरानी दरबार मूव प्रथा (Durbar Move Practice) खत्म की गई है। आजाद ने इसका विरोध किया है। उन्होंने कहा कि आज की सत्ता से अच्छे तो राजा-महाराजा थे। इस प्रथा के तहत मौसम के साथ हर छह महीने में जम्मू कशमीर की राजधानी बदल जाती है। छह महीने राजधानी श्रीनगर में होती है और बाकी के छह महीने जम्मू में। ऐसी स्थिति में आवश्यक कार्यालय, सचिवालय का भी पूरा इंतजाम जम्मू से श्रीनगर और श्रीनगर से जम्मू तक ले जाया जाता है। इसमें काफी पैसा भी खर्च हो जाता था। इसी प्रथा को दरबार मूव के नाम से जाना जाता है। ये परंपरा 1862 में डोगरा शासक गुलाब सिंह ने शुरू की थी। वे महाराजा हरि सिंह के पूर्वज थे। हरि सिंह के शासनकाल के दौरान ही जम्मू कश्मीर भारत का अंग बन गया था।
इसी साल की थी पीएम की तारीफ
कांग्रेस के जी-23 नेताओं में शामिल गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा से रिटायर होने के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था कि पीएम मोदी जमीन से जुड़े हुए नेता हैं। लोगों को उनसे सीखना चाहिए कि कामयाबी की बुलंदियों पर जाकर भी कैसे अपनी जड़ों को याद रखा जाता है। उन्होंने पीएम मोदी के बचपन में चाय बेचने की घटना का जिक्र करते हुए कहा था कि उन्होंने अपनी असलियत नहीं छिपाई।
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