हरिद्वार में गंगा नदी के सूखने पर रेल की पटरियां दिखाई दीं। क्या है इन पटरियों का रहस्य? जानिए, सदियों पुराने इस राज़ के बारे में।

हर साल एक निश्चित समय के लिए उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग मरम्मत कार्यों के लिए गंगा नहर को बंद कर देता है। इस दौरान इस क्षेत्र में जलस्तर में काफी कमी आना भी आम बात है। लेकिन इस बार जलस्तर सामान्य से भी नीचे चला गया। इसके बाद नदी में रेलवे ट्रैक मिलने से न सिर्फ उत्तराखंड सिंचाई विभाग, बल्कि भारतीय रेलवे के अधिकारी भी हैरान रह गए। यह घटना हरिद्वार के हर की पौड़ी की है। दशकों से वहां रहने वाले लोगों को भी यह नहीं पता था कि दशकों पहले जहां गंगा नहर है, वहां ट्रेनें चलती थीं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, हरिद्वार रेलवे स्टेशन से 3 किलोमीटर दूर गंगा नदी के तल में पुराने रेलवे ट्रैक दिखाई दिए। पानी सूखने के बाद नदी में ट्रैक मिलने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कई लोग सवालों के साथ सामने आए। मुख्य सवाल यही थे कि ये ट्रैक कब बनाए गए थे और किस मकसद से बनाए गए थे।

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इसके बाद कई षड्यंत्र के सिद्धांत सामने आए। हालांकि, इलाके के लंबे समय से रहने वाले आदर्श त्यागी ने बताया कि 1850 के दशक में गंगा नहर के निर्माण के दौरान ये ट्रैक बनाए गए थे और नहर निर्माण के लिए जरूरी सामान जल्दी पहुंचाने के लिए इस्तेमाल होने वाली ट्रॉलियों को चलाने के लिए ट्रैक का इस्तेमाल किया जाता था। भीमगोडा बैराज से डैम कोठी तक डैम और बैराज बनने के बाद ब्रिटिश अधिकारी इन ट्रैक का इस्तेमाल अपने निरीक्षण के लिए भी करते थे। उस समय के ब्रिटिश गवर्नर लॉर्ड डलहौजी की प्रमुख योजना गंगा नहर का निर्माण था। न्यूज 18 ने यह भी बताया कि इतिहासकार प्रोफेसर संजय माहेश्वरी का कहना है कि इसका निर्माण इंजीनियर थॉमस कूटली की देखरेख में हुआ था।