कलकत्ता हाईकोर्ट ने POCSO एक्ट के तहत एक आरोपी की सजा निलंबित कर दी। कोर्ट ने कहा, स्तनों को छूने का प्रयास 'गंभीर यौन हमला' है, 'बलात्कार का प्रयास' नहीं। इससे दोषी की सजा 12 साल से घटकर 5 साल हो सकती है।

Kolkata: कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की एक ट्रायल कोर्ट द्वारा Pocso (Protection of Children from Sexual Offences) एक्ट के तहत एक आरोपी को दोषी ठहराने और सजा सुनाने के पहले के आदेश को निलंबित कर दिया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पीड़िता के स्तनों को छूने का प्रयास कानून के अनुसार "गंभीर यौन हमला" है। यह "बलात्कार का प्रयास" नहीं है।

ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को "गंभीर यौन उत्पीड़न" और "बलात्कार का प्रयास" दोनों आरोपों में दोषी पाया था। उसे 12 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने जिस तरह की बातें कहीं हैं उससे दोषी को राहत मिलने की उम्मीद है।

आरोपी ने शराब के नशे में की थी स्तन छूने की कोशिश

दोषी ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। उसकी याचिका पर हाईकोर्ट के जस्टिस अरिजीत बनर्जी और जस्टिस बिस्वरूप चौधरी की खंडपीठ ने सुनवाई की। बेंच ने कहा कि इस मामले में पीड़िता की मेडिकल जांच में किसी भी तरह के पेनिट्रेशन या पेनिट्रेशन के प्रयास का संकेत नहीं मिला है।

कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के बयान के अनुसार, आरोपी ने शराब के नशे में उसके "स्तन छूने" की कोशिश की। बेंच ने कहा, "इस तरह के सबूत पोक्सो अधिनियम 2012 की धारा 10 के तहत गंभीर यौन उत्पीड़न के आरोप का समर्थन कर सकते हैं, लेकिन प्रथम दृष्टया बलात्कार के प्रयास के अपराध का संकेत नहीं देते हैं।"

दोषी को 12 साल के बदले मिल सकती है 5 साल जेल की सजा

हाईकोर्ट में अंतिम सुनवाई के बाद आरोप को "गंभीर यौन हमले" और "बलात्कार का प्रयास" दोनों से घटाकर केवल "गंभीर यौन हमले" तक सीमित कर दिया जाता है तो दोषी की सजा कम हो जाएगी। उसकी सजा 12 साल से घटकर 5 साल जेल हो जाएगी। दोषी पहले ही 28 महीने जेल में बिता चुका है।

हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि अपील के निपटारे तक या अगले आदेश तक जो भी पहले हो दोषसिद्धि और सजा के आदेश का क्रियान्वयन निलंबित रहेगा। अपील के निपटारे तक जुर्माने के भुगतान पर भी रोक लगाई गई है। हालांकि, इसके साथ ही बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि उसकी टिप्पणियों का अपील की सुनवाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।