सार
हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में करगिल युद्ध के नायक कैप्टन विक्रम बत्रा की प्रतिमा का पालमपुर सैन्य स्टेशन अनावरण किया गया।
पालमपुर : हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में करगिल युद्ध (Kargil war) के नायक कैप्टन विक्रम बत्रा (Capt Vikram Batra) की प्रतिमा का पालमपुर सैन्य स्टेशन (Palampur Military Station अनावरण किया गया। इस दौरान करगिल युद्ध के एक और नायक तथा उत्तरी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी उपस्थित थे। प्रतिमा का अनावरण बत्रा के पिता जी. एल. बत्रा और मां कमल कांता बत्रा ने किया।
वाईके जोशी ने कैप्टन विक्रम बत्रा के अदम्य साहस को याद किया
इस मौके पर उत्तरी कमांड के वाईके जोशी ने कारगिल युद्ध के दौरान कैप्टन विक्रम बत्रा के द्वारा दिखाए गए अदम्य साहस को याद किया और कहा कि उन्होंने अपने साथियों को प्वाइंट 5140 चोटी पर सफलता प्राप्त करने के लिए उत्साहित किया था. पॉइंट 5100 और पॉइंट 4700 पर विजय प्राप्त करने का मार्ग भी दिखाया था. उन्होंने कहा कि पॉइंट 4875 को हथियाने में कैप्टन विक्रम बत्रा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और दुश्मन के ठिकानों पर प्रहार करते हुए 5 दुश्मन सेना के जवानों को मार गिराया किया. उन्होंनें कहा कि कैप्टन बत्रा ने अपने जान की परवाह किए बिना अत्यंत कठिन परिस्थितियों में विजय प्राप्त की और अपना सर्वोच्च बलिदान दिया. वाईके जोशी ने कहा कि कैप्टन के इस अदम्य साहस के चलते उन्हें सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.
बत्रा के सर्वस्य बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा
लेफ्टिनेंट जनरल जोशी ने कहा कि कैप्टन बत्रा के सर्वस्य बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा, उन्होंने कहा कि कैप्टन विक्रम बत्रा के जन्म स्थान पर उनकी प्रतिमा को स्थापित किया जाना आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा. इस अवसर पर मेजर जनरल एम. पी. सिंह और कैप्टन बत्रा के स्कूल शिक्षक आर एस गुलेरिया, सुमन मैनी तथा नीलम वत्स एवं उनके बचपन के कुछ दोस्त भी उपस्थित थे।
कैप्टन से जुड़े तथ्य
कैप्टन बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा अपने गृहनगर से ही की और इसके बाद वे पढ़ने के लिए चंडीगढ़ चले गए और डीएवी कॉलेज में एडमिशन लिया. कैप्टन ने अपनी स्नातक की पढ़ाई पंजाब विश्वविद्यालय से की. इसके बाद बत्रा का चयन सीडीएस के जरिए सेना में हो गया. जुलाई 1996 में उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में प्रवेश लिया। दिसंबर 1997 में प्रशिक्षण समाप्त होने पर उन्हें 6 दिसम्बर 1997 को जम्मू के सोपोर नामक स्थान पर सेना की 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्ति मिली। उन्होंने 1999 में कमांडो ट्रेनिंग के साथ कई प्रशिक्षण भी लिए।
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