सार
दिल्ली में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच कई मसलों पर टकराव देखने को मिलता है। इस बीच एक और मामला सुर्खियों में रहा, जिसमें लास्ट में सुप्रीम कोर्ट तक को दखल देना पड़ गया।
IAS Naresh Kumar. दिल्ली की राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच ट्रांसफर-पोस्टिंग वाले पर बिल पर घमासान मचा ही था कि एक और मामले ने सुर्खियां बटोर लीं। जी हां, एक टॉप क्लास के आईएएस अधिकारी को एक्सटेंशन देने के मामले में केंद्र और राज्य में टकराव हो गई। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा। यह आईएएस अधिकारी नरेश कुमार से जुड़ा है, जिन्हें 6 महीने का एक्सटेंशन देने के लिए राज्य सरकार राजी नहीं हुई। अंत में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा औ नरेश कुमार को राहत मिली। सुप्रीम कोर्ट ने नरेश कुमार के 6 महीने के एक्सटेंशन को मंजूरी दे दी है।
क्या है नरेश कुमार का मामला
दिल्ली सरकार को बुधवार को तब झटका लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव नरेश कुमार का कार्यकाल छह महीने बढ़ाने के केंद्र के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। वे अगले 24 घंटे में रिटायर्ड होने वाले थे। दिल्ली सरकार ने कहा था कि केंद्र की बीजेपी सरकार और दिल्ली के बीच ब्यूरोक्रेसी पर कंट्रोल लगाने वाले बिल को लेकर टकरार चल रही है। ऐसे में किसी तरह का सेवा विस्तान नहीं दिया जा सकता है। जानकारी के लिए बता दें कि इस बिल के बाद दिल्ली में किसी तरह की नियुक्ति से पहले केंद्र से परामर्श करना जरूरी होगा। दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल इसका विरोध कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने की यह टिप्पणी
नरेश कुमार के मामले में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने फैसला सुनाया कि छह महीने के विस्तार को किसी कानून के उल्लंघन के रूप में नहीं देखा जा सकता। कोर्ट ने केंद्र की उस दलील को स्वीकार कर लिया कि उसे दिल्ली सरकार में नौकरशाहों के तबादले और नियुक्ति का अधिकार है क्योंकि उसका अध्यादेश अभी तक वापस नहीं लिया गया है। केंद्र ने मंगलवार को नरेश कुमार का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि हम जानना चाहते हैं कि केंद्र सरकार केवल एक ही व्यक्ति तक सीमित क्यों है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप नियुक्ति करना चाहते हैं, करें लेकिन क्या आपके पास कोई अधिकारी नहीं है जो मुख्य सचिव बन सके। क्या आप फंस गए हैं? पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल रहे।
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