सार

कोर्ट ने कहा कि अनिल मसीह कदाचार के दोषी हैं और उन्होंने जानबूझकर 8 मतपत्रों को विकृत करने का प्रयास किया ताकि बीजेपी का उम्मीदवार मेयर चुना जा सके।

Chandigarh Mayor election: चंडीगढ़ मेयर इलेक्शन में वोटों की गिनती में धांधली उजागर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने काफी सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने मंगलवार को चंडीगढ़ मेयर चुनाव के बैलेट्स को गलत तरीके से इनवैलिड करने पर रिटर्निंग आफिसर को दोषी पाया। कोर्ट ने कहा कि अनिल मसीह कदाचार के दोषी हैं और उन्होंने जानबूझकर 8 मतपत्रों को विकृत करने का प्रयास किया ताकि बीजेपी का उम्मीदवार मेयर चुना जा सके। कोर्ट ने अनिल मसीह के खिलाफ कंटेम्ट ऑफ कोर्ट की कार्यवाही का आदेश दिया है।

अवमानना की कार्यवाही के साथ साथ नोटिस भी थमाया

सुप्रीम कोर्ट ने रिटर्निंग अधिकारी अनिल मसीह के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला चलाने का निर्देश देने के साथ कारण बताओ नोटिस भी थमाया। अनिल मसीह को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करना है। जवाब वह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल करेंगे।

बीजेपी ने भी हटाया

दरअसल, चंडीगढ़ मेयर चुनाव में मतों की गिनती के दौरान रिटर्निंग अफसर अनिल मसीह का वीडियो सामने आया था। वीडियो देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया था। वीडियो में अनिल मसीह साफ तौर पर बैलेट पेपर्स पर निशान लगाते हुए दिख रहे हैं। वह बैलेट को खराब करने के साथ कैमरा की ओर भी देख रहे हैं। 30 जनवरी को हुए मेयर चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी मनोज कुमार सोनकर 16 वोट पाकर विजयी घोषित किया गया था जबकि आप-कांग्रेस का संयुक्त प्रत्याशी कुलदीप कुमार 12 वोट पाकर चुनाव हार गया। 8 वोट इनवैलिड कर दिए गए। रिटर्निंग आफिसर ने आप-कांग्रेस को मिले 8 वोटों को इनवैलिड कर दिया ताकि बीजेपी प्रत्याशी जीत हासिल कर सके। उधर, जब अनिल मसीह से खुद को अलग करते हुए बीजेपी ने उनको बीजेपी के अल्पसंख्यक सेल से हटा दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने इनवैलिड वोट्स को जांचा

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने मंगलवार को इनवैलिड किए गए सभी 8 बैलेट पेपर्स को देखा। कोर्ट ने कहा कि रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह द्वारा अवैध घोषित किए गए सभी आठ मतपत्र AAP उम्मीदवार और याचिकाकर्ता कुलदीप कुमार के पक्ष में थे। कोर्ट ने वोटों को वैलिड मानते हुए उनको गिनती में शामिल कराया और कोर्ट में ही रिजल्ट घोषित किया गया। कोर्ट ने कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ का मेयर निर्वाचित घोषित किया।

दो स्तरों पर रिटर्निंग अफसर को पाया दोषी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा: रिटर्निंग अफसर अनिल मसीह कदाचार का दोषी है। यह स्पष्ट है कि पीठासीन अधिकारी ने याचिकाकर्ता के पक्ष में डाले गए आठ मतपत्रों को विकृत करने का जानबूझकर प्रयास किया है ताकि आठवें प्रतिवादी को निर्वाचित उम्मीदवार घोषित किया जा सके। मसीह के आचरण की दो स्तरों पर निंदा की जानी चाहिए। सबसे पहले उन्होंने गैरकानूनी तरीके से मेयर चुनाव के कोर्स को बदल दिया है। दूसरे, 19 फरवरी को इस अदालत के समक्ष एक गंभीर बयान देते हुए पीठासीन अधिकारी ने झूठ व्यक्त किया जिसके लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

कोर्ट को किया बरगलाने की कोशिश

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने काउंटिंग का वीडियो भी देखा जिसमें चुनाव अधिकारी बैलेट को खराब कर रहे हैं। वीडियो देखने के बाद अनिल मसीह से भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछताछ की। इसके पहले सीजेआई ने पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह के कृत्य को लोकतंत्र का माखौल करार दिया। बेंच ने अधिकारी से पूछा कि वह मतपत्रों पर "x" का निशान क्यों लगा रहे थे। उन्होंने जवाब दिया कि मतपत्रों को विकृत कर दिया गया है और वह उन पर निशान लगा रहे हैं ताकि उनकी पहचान की जा सके।

मंगलवार को सुबह कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बैलेट्स को मंगाया। सभी 8 इनवैलिड वोट्स को देखा तो वह विकृत नहीं थे बल्कि मसीह द्वारा लिखा गया एक्स निशान ही मिला। बेंच ने माना कि मतपत्रों को विकृत नहीं किया गया था।

कोर्ट ने हार्सट्रेडिंग पर भी लगाम लगाया

उधर, सुनवाई के एक दिन पहले ही बीजेपी के मेयर मनोज कुमार सोनकर ने पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, नए सिरे से चुनाव होने के लिए बीजेपी ने पहले ही चाल चल रखी थी। आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया था। बीजेपी सांसद किरन खेर भी पदेन सदस्य होने के नाते वोट देने की अधिकारी थी। ऐसे में बीजेपी के पास 19 वोटों का बहुमत हो चुका था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बीजपी की सारी तैयारियों पर पानी फेर दिया। मसीह द्वारा 8 इनवैलिड किए गए वोटों को वैलिड मानकर चुनाव परिणाम घोषित कर दिया। साथ ही नए सिरे से चुनाव कराने का सारा झंझट ही खत्म हो गया।

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