सार

Congress President Election ज्यों ज्यों नजदीक आ रहा है, कांग्रेस की राज्य इकाईयों ने राहुल गांधी को अध्यक्ष पद पर आसीन करने की मांग भी तेज कर दी है। यूपी, झारखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र समेत 8 से अधिक राज्यों में प्रदेश कमेटी ने मीटिंग कर सर्वसम्मति से राहुल गांधी को पुन: अध्यक्ष पद की कुर्सी संभालने का अनुरोध किया है। अशोक गहलोत व भूपेश बघेल भी लगातार उनके नाम को ही आगे कर रहे।

नई दिल्ली। कांग्रेस में नए अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर काउंटडाउन शुरू हो चुका है। हालांकि, अधिकतर राज्य इकाइयों को अभी भी भरोसा है कि राहुल गांधी उनके अनुरोध को स्वीकार कर अध्यक्ष की कुर्सी संभाल लेंगे। उधर, पार्टी के इस मेगा इवेंट के लिए संभावित प्रत्याशियों ने सक्रियता बढ़ा दी है। एक तरफ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम आगे कर पार्टी के रणनीतिकार एक साथ कई हित साधने में जुटे हैं तो दूसरी ओर जी-23 के प्रमुख चेहरा रहे शशि थरूर ने सोनिया गांधी से समर्थन मांग, राजनीतिक पारा को चढ़ा दिया है। 

कांग्रेस में करीब दो दशक से अधिक समय बाद अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होने जा रहा है। कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं द्वारा शीर्ष नेतृत्व पर सवाल खड़े करने और गैर गांधी अध्यक्ष बनाने के लिए छेड़ी गई मुहिम को बाद ऐसा लग रहा है कि गांधी परिवार भी अध्यक्ष पद पर किसी दूसरे को चुनने का मन बना लिया है। हालांकि, 2019 के चुनाव के बाद हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद यह पहले ही संदेश दे दिया था कि अध्यक्ष किसी दूसरे को ही बनाया जाएगा। काफी दिनों तक अध्यक्ष की कुर्सी खाली रहने के बाद सोनिया गांधी ने पुन: अध्यक्ष की कुर्सी संभाली थी। लेकिन राज्यों में लगातार सामने आ रहे विरोध और अंतर्कलह, बगावत को देखते हुए तमाम बार शीर्ष नेतृत्व को लेकर पार्टी में ही सवाल उठने लगे थे। खुले तौर पर पार्टी के करीब दो दर्जन सीनियर लीडर्स ने नेतृत्व पर प्रश्नचिन्ह खड़े करते हुए संगठन को नए सिरे से विस्तार की बात तक कह डाली। लेकिन हालिया कई नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने सांगठनिक चुनाव कराने का फैसला ले लिया।

सीडब्ल्यूसी ने मीटिंग कर किया चुनाव का ऐलान

बीते दिनों सीडब्ल्यूसी की मीटिंग हुई। सीडब्ल्यूसी में सोनिया गांधी, राहुल गांधी वगैरह ऑनलाइन जुड़े। इस मीटिंग में सांगठनिक चुनावों के तारीखों का ऐलान हुआ। भारत जोड़ो यात्रा के बीच ही चुनाव कराने का निर्णय लिया गया। इसी मीटिंग में नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी की गई। चुनाव शेड्यूल के अनुसार अध्यक्ष का चुनाव 17 अक्टूबर को होगा। परिणाम 19 अक्टूबर को घोषित किया जाएगा। नामांकन वापस लेने के बाद अगर केवल एक उम्मीदवार मैदान में रह जाता है तो अध्यक्ष के नाम की घोषणा आठ अक्टूबर को ही कर दी जाएगी। नामांकन प्रक्रिया 24 सिंतबर से प्रारंभ होगी और 30 सितंबर तक किया जा सकेगा।

गहलोत रेस में सबसे आगे, एक तीर से लग जाएगा दो निशाना

कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव का ऐलान होते ही गैर गांधी अध्यक्ष के रूप में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम की चर्चा सबसे अधिक है। दरअसल, गहलोत काफी अनुभवी नेता होने के साथ साथ गांधी परिवार के अत्यंत करीबी है। यही नहीं राजस्थान में विधानसभा चुनाव अगले साल होने हैं। कांग्रेस अपने बुजुर्ग नेता को पार्टी का नेतृत्व सौंपने के साथ राजस्थान में युवा नेतृत्व को सरकार की बागडोर सौंप सकती है। दरअसल, राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच का खींचतान काफी दिनों से चल रहा है। दोनों की गुटबाजी के चक्कर में पार्टी को भी अगले चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे में कांग्रेस के कई रणनीतिकारों का मानना है कि अशोक गहलोत को केंद्रीय राजनीति में लाने के बाद राजस्थान की बागडोर सचिन पायलट को सौंप पार्टी का वहां पर अंतर्कलह खत्म किया जा सकता है। 

लेकिन गहलोत ने रखी है शर्त

हालांकि, पार्टी के लिए राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच सबकुछ ठीक करना आसान भी नहीं है। कांग्रेस सूत्रों की मानें तो अशोक गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष पद स्वीकार करने के लिए शर्त रखे हैं। वह चाहते हैं कि अगर वह मुख्यमंत्री पद छोड़े तो सचिन पायलट के अलावा उनकी पसंद का कोई पद संभाले। वह एक साथ दोनों पद भी लेने को तैयार हैं। अशोक गहलोत की बातों को सीधे तौर पर नकारना भी पार्टी नेतृत्व के लिए आसान नहीं होगा क्योंकि राजस्थान में अंतर्कलह का सामना कर रहे मुख्यमंत्री ने कई बार ऑपरेशन लोटस को विफल कर दिया। यही नहीं बीते राज्यसभा चुनाव में अपने तीसरे नंबर के न जीतने वाले कैंडिडेट को भी क्रॉस कराकर जीताने में सफल हुए थे।

शशि थरूर भी मैदान में आने को इच्छुक

कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को पत्र लिखकर नेतृत्व पर सवाल करने वाले 23 नेताओं में शशि थरूर भी शामिल रहे हैं। इन नेताओं को कांग्रेस में जी-23 गुट कहा गया। यह वह दिग्गज नेता थे जो कांग्रेस में गांधी परिवार के निर्णयों से नाखुश थे। हालांकि, कुछ ही दिनों बाद यह गुट करीब-करीब खत्म हो गया और अधिकतर लोग पार्टी में ही अलग-थलग पड़ गए। इनमें कपिल सिब्बल, नटवर सिंह, गुलाम नबी आजाद आदि ने पार्टी ही छोड़ दी। इसी गुट में रहे शशि थरूर ने भी अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी की है। शशि थरूर ने सोनिया गांधी से मुलाकात भी की है और उनसे समर्थन भी मांगा। हालांकि, सोनिया ने न्यूट्रल रहने की बात कही है। 

राज्य लगातार प्रस्ताव पास कर रहे हैं राहुल के नाम पर

उधर, चुनाव ज्यों ज्यों नजदीक आ रहा है, कांग्रेस की राज्य इकाईयों ने राहुल गांधी को अध्यक्ष पद पर आसीन करने की मांग भी तेज कर दी है। यूपी, झारखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र समेत 8 से अधिक राज्यों में प्रदेश कमेटी ने मीटिंग कर सर्वसम्मति से राहुल गांधी को पुन: अध्यक्ष पद की कुर्सी संभालने का अनुरोध किया है। अशोक गहलोत व भूपेश बघेल भी लगातार राहुल गांधी के नाम को ही आगे कर रहे।

नामांकन के बाद साफ होगी तस्वीर, गेंद तो गांधी परिवार के ही पाले में

अशोक गहलोत या शशि थरूर या कोई और? यह स्थिति साफ होने में अभी समय लग सकता है। 30 सितंबर तक अध्यक्ष पद के दावेदारों का नामांकन होना है। इस तारीख के बाद कौन-कौन मैदान में आया है यह तस्वीर साफ होगी। लेकिन एक बात तो तय है कि आखिरी फैसला सोनिया गांधी और राहुल गांधी को ही करना है कि कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन होगा?