सार

डब्ल्यूएचओ और आईसीएमआर ने पानी में कोविड वायरस के फैलने पर रिसर्च शुरू किया है। रिसर्च में सीवेज वाटर की भी टेस्टिंग हो रही है। इसके लिए पूरे देश में आठ टेस्टिंग सेंटर्स बनाए गए हैं।

नई दिल्ली। गंदे पानी में कोरोना वायरस मिलने से कोविड को लेकर चिंताएं और बढ़ती दिख रही है। हालांकि, अभी यह रिसर्च में ही साफ हो सकेगा कि कोरोना के वायरस पानी के माध्यम से संक्रमण फैला सकते हैं या नहीं। फिलहाल रिसर्च सेंटर्स सैंपल इकट्ठा कर पता लगाने में जुटे हुए हैं। देश के 8 सेंटर्स पर सीवेज वाटर सैंपल्स के साथ रिसर्च किया जा रहा है।

लखनऊ के सीवेज वाटर में मिला वायरस, मुंबई में भी मिला था

दरअसल, डब्ल्यूएचओ और आईसीएमआर ने पानी में कोविड वायरस के फैलने पर रिसर्च शुरू किया है। रिसर्च में सीवेज वाटर की भी टेस्टिंग हो रही है। इसके लिए पूरे देश में आठ टेस्टिंग सेंटर्स बनाए गए हैं। यूपी में भी एक सेंटर लखनऊ के एसजीपीजीआई को बनाया गया है। बीते दिनों लखनऊ के तीन जगहों से सीवेज सैंपल लिए गए थे। इनमें से एक सैंपल में कोरोना वायरस के होने की पुष्टि हुई है। इसी तरह कुछ दिनों पूर्व मुंबई में भी एक जगह से सीवेज में वायरस मिला था। 

हैदराबाद के झील में मिले थे वायरस के जेनेटिक मटेरियल

हैदराबाद के हुसैन सागर झील में कुछ दिनों पूर्व वायरस का जेनेटिक मटेरियल मिला था। इसके अलावा दो अन्य जगहों निजाम तालाब और पेद्दा चेरूवु में भी जेनेटिक मटेरियल के मिलने की पुष्टि हुई थी। हालांकि, रिसर्च में यह पुष्टि हुई कि इससे कोरोना वायरस आगे नहीं फैला। 

पानी में वायरस फैलेगा या नहीं अभी तक साफ नहीं

पानी में वायरस के फैलने के संबंध में कोई रिसर्च सामने नहीं आया है। अभी इसकी पुष्टि होनी है कि यह पानी से भी संक्रमण फैला सकता है। 

सीवेज में वायरस मिलने की वजह स्टूल

संजय गांधी आयुर्विज्ञान पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट में माइक्रोबायोलाॅजी विभाग की हेड डाॅ.उज्जवला घोषाल कहती हैं कि लखनऊ में तीन जगहों की सैंपलिंग में एक जगह वायरस मिला है। सैंपल ऐसे जगह से लिए गए थे जहां पूरे मोहल्ले का सीवेज एक जगह गिरता हो। डाॅ.घोषाल ने बताया कि लखनऊ में काफी लोग होम आइसोलेशन में है। संक्रमितों के स्टूल में वायरस हो सकता है जो सीवेज में आ रहा है।

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