सार

पीपीई किट के भीतर हवा नहीं प्रवेश करने से अंदर भीषण गर्मी होती है. कोव-टेक वेंटिलेशन सिस्टम से नहीं महसूस होगी गर्मी. 

मुंबई। इंजीनियरिंग के एक स्टूडेंट ने कोविड-19 वार्ड में काम करने वाले डाॅक्टर्स व मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए हैंडी वेंटिलेशन सिस्टम (Cov-Tech Ventilation system) तैयार किया है। यह सिस्टम पीपीई किट पहने वारियर्स को बेहाल करने वाली गर्मी से छुटकारा दिला सकेगा। डाॅक्टर मां के पीपीई किट पहनने की दिक्कतों को देखने के बाद इंजीनियरिंग करने वाले बेटे ने ऐसा किट ईजाद कर दिया जो देश के हजारों-लाखों डाॅक्टर्स व मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए सुकून देने वाला होगा। 

कोव-टेक वेंटिलेशन सिस्टम से नहीं महसूस होगी गर्मी 

कोव-टेक वेंटिलेशन सिस्टम (Cov-Tech Ventilation system) आपको फैन का एक्सपीरियन्स कराएगा। जैसे आप किसी कमरे में फैन चलाकर बैठे हो और हवा शरीर पर लगता है। पीपीई किट पहनने के बाद भी शरीर को हवा महसूस होगा। बेल्ट में लगे फैन से आसपास के हवा को वह फिल्टर कर किट के भीतर खींचेगा। सामान्यता, पीपीई किट के भीतर हवा नहीं प्रवेश करने से अंदर भीषण गर्मी होती है। 

बैटरी से संचालित होगा पूरा सिस्टम
 
कोव-टेक वेंटिलेशन सिस्टम लिथियम-आयन बैटरी पर काम करेगा। बैटरी करीब 6-8 घंटे तक काम कर सकेगी। इसको पीपीई किट के अंदर कमर में बेल्ट की तरह बांधा जा सकेगा। 

डाॅक्टर मां की उलझने देखी तो मन में आया ख्याल

पीपीई किट के लिए ‘कोव-टेक वेंटिलेशन सिस्टम’ (Cov-Tech Ventilation system) बनाने वाले निहाल सिंह आदर्श मुंबई के केजे सोमैया इंजीनियरिंग काॅलेज के सेकेंड ईयर के स्टूडेंट हैं। 19 साल के निहाल की मां पूनम कौर आदर्श पेशे से डाॅक्टर हैं। इन दिनों वह कोविड पेशेंट की देखरेख कर रही हैं। वह जब घर आती हैं तो निहाल को पीपीई किट पहनने से होने वाली परेशानियों के बारे में बताती हैं।  निहाल ने बताया कि मां की परेशानियों को समझने के बाद मन में कुछ करने का ख्याल आया। इसी दौरान कोविड रिलेटेड इक्वीपमेंट डिजाइन बनाने के चैलेंज का ऐलान हुआ। उसने भी उसमें भाग लिया। पहले माॅडल की प्रोटोटाइप करीब बीस दिनों में ही तैयार कर दी। इस काम में उसकी मदद मिली सोमैया विद्याविहार यूनिवर्सिटी के रिसर्च इनोवेशन इनक्यूबेशन डिजाइन लेबोरेट्री से जोकि भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी विभाग के सहयोग से काम करता है। 

छह महीने बाद पूरी डिजाइन तैयार, फिर कई बदलाव हुए

छह महीने के बाद प्रारंभिक प्रोटोटाइप सामने आया। पहले इसे गले में बांधने के लिए बनाया गया था। निहाल ने पुणे के डाॅ.विनायक माने को टेस्टिंग के लिए दिया। डाॅ.विनायक ने इसकी टेस्टिंग कर कुछ खामियों की ओर ध्यान आकर्षित किया। बताया कि गले में बांधने पर कई प्रकार की दिक्कतें हो रही हैं। यह लगातार वाइब्रेट कर रहा है जोकि डाॅक्टर्स या हेल्थ प्रोफेशनल्स के लिए और परेशानी हो सकती है। फिर निहाल ने इस पर काम करना शुरू किया। काफी मेहनत के बाद फिर एक नया डिजाइन तैयार हुआ जिसे बेल्ट की तरह कमर में पहना जा सके। इसकी टेस्टिंग के बाद हेल्थ प्रोफेशनल्स ने कम्फर्टेबल बताया। 

निहाल के स्टार्ट-अप को दस लाख का ग्रांट

निहाल ने इस दौरान वाॅट टेक्नोवेशन नाम से एक स्टार्ट-अप बनाया। भारत सरकार के विज्ञान एवं टेक्नालाॅजी मंत्रालय ने दस लाख रुपये का ग्रांट भी दिया। 

कितने का है एक डिवाइस

पीपीई किट में इस्तेमाल किए जाने वाला यह वेंटिलेशन सिस्टम 5499 रुपये में उपलब्ध हो सकेगा। फिलहाल यह पुणे के साईं स्नेह अस्पताल और लोटस मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में इस्तेमाल किया जा रहा है। अभी 30-40 डिवाइस ही बनाया गया है। जून तक 100 डिवाइस और तैयार किया जा रहा है। 

यह भी पढ़ेंः

महामारी में दूर होगी रोटी की संकटः ट्रांसजेंडर्स को मिलेगा 1500 रुपये

जर्मनीः किसी को 1700 काॅल के बाद मिला वैक्सीन के लिए अप्वाइंटमेंट तो कोई 100 यूरो देकर भी नहीं पा रहा

Covid-19 की तीसरी लहर में बच्चों को सबसे अधिक संक्रमण की बात सही नहीं, डरे मतः एम्स डायरेक्टर

तो भारत में फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम काम करना बंद कर देंगे!

Asianet News का विनम्र अनुरोधः आईए साथ मिलकर कोरोना को हराएं, जिंदगी को जिताएं... जब भी घर से बाहर निकलें माॅस्क जरूर पहनें, हाथों को सैनिटाइज करते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। वैक्सीन लगवाएं। हमसब मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग जीतेंगे और कोविड चेन को तोडेंगे। #ANCares #IndiaFightsCorona