सार
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भारतीय जेलों में बढ़ती भीड़ को भयावह माना है। एपेक्स कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट (Courts) से कहा कि विशेष कानून के कड़े प्रावधान वाले मामलों को जल्द से जल्द खत्म किया जाना चाहिए।
Supreme Court. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भारतीय जेलों में बढ़ती भीड़ को भयावह माना है। एपेक्स कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट (Courts) से कहा कि विशेष कानून के कड़े प्रावधान वाले मामलों को जल्द से जल्द खत्म किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर समय से मुकदमे खत्म नहीं किए जाते हैं तो यह व्यक्ति के लिए अन्याय की तरह है। इसलिए ट्रायल कोर्ट में तेजी से मुकदमों का परीक्षण किया जाना चाहिए और समय से केस का निबटारा होना चाहिए।
सुनवाई के दौरान की गई टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट के तहत आरोपी एक व्यक्ति को जमानत पर रिहा करते हुए यह टिप्पणी की है। पीठ ने कहा कि ज्यादा समय तक किसी को जेल में रखन का और भी बुरा परिणाम होता है। अभियुक्त कमजोर आर्थिक तबके से ताल्लुक रखता है तो उसकी आजीविका तुरंत खत्म हो जाती है। परिवार बिखर जाता है और किसी भी परिवार का टूटना समाज से अलगाव पैदा कर देता है। पीठ ने कहा कि सभी अदालतों को इन पहलुओं के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है। कोर्ट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विशेष कानून और कड़े प्रावधान वाले मुकदमों को जल्द से जल्द निष्कर्ष तक पहुंचाना चाहिए।
समय से न्याय नहीं तो अन्याय है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत देने के लिए कड़ी शर्तें लगाने वाले कानून जनहित में आवश्यक हो सकते हैं। लेकिन समय पर ट्रायल खत्म नहीं होते हैं तो व्यक्ति पर जो अन्याय होता है, वह बहुत गहरा है। पीठ ने कहा कि जेलों में क्षमता से अधिक लोगों की भीड़ है। जेलों में रहने की स्थितियां लगातार भयावह होती जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान व्यक्ति को जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए कहा कि वह सात साल चार महीने से अधिक समय से हिरासत में है। कोर्ट ने यह भी कहा कि मुकदमे की प्रगति कछुआ गति से चल रही है क्योंकि सिर्फ 30 गवाहों की जांच की गई है जबकि 34 और की जांच की जानी है।
क्या है भारतीय जेलों की हालत
संसद में केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार 31 दिसंबर 2021 तक 5,54,034 से अधिक कैदी जेलों में बंद हैं। जबकि देश में जेलों की कुल क्षमता 4,25,069 है। इनमें से 122,852 ही दोषी करार दिए गए व्यक्ति हैं। बाकी के 4,27,165 कैदी विचाराधीन हैं।
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