सार
पूर्व केंद्रीय मंत्री पी.चिदंबरम ने कहा कि वर्किंग कमेटी में हम देश की स्थिति पर चर्चा कर रहे हैं। राजनीतिक स्थिति, आर्थिक संकट और सुरक्षा खतरे (आंतरिक और बाहरी दोनों) देश के लिए बड़ी चुनौतियां हैं।
CWC meeting in Hyderabad: मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पहली सीडब्ल्यूसी मीटिंग हैदराबाद में आयोजित हुई। मीटिंग में ड्रॉफ्ट प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी.चिदंबरम ने कहा कि वर्किंग कमेटी में हम देश की स्थिति पर चर्चा कर रहे हैं। राजनीतिक स्थिति, आर्थिक संकट और सुरक्षा खतरे (आंतरिक और बाहरी दोनों) देश के लिए बड़ी चुनौतियां हैं।
देश के संवैधानिक और संघीय ढांचे को चुनौती
सीडब्ल्यूसी के सेशन के बाद मीडिया को ब्रीफ करते हुए पी.चिदंबरम ने कहा कि हमारा मानना है कि देश के संवैधानिक और संघीय ढांचे के लिए चुनौती है। केंद्र सरकार उन राज्य सरकारों की सहायता नहीं करती जहां लोगों ने उनके खिलाफ जनादेश दिया है। मोदी सरकार ने कर्नाटक को चावल की आपूर्ति से इनकार कर दिया और बाढ़ प्रभावित हिमाचल प्रदेश को सहायता प्रदान नहीं की।
मणिपुर जल रहा लेकिन पीएम को फुर्सत नहीं
चिदंबरम ने कहा कि मणिपुर अशांति का सामना कर रहा है और पीएम मोदी के पास मणिपुर जाने का समय नहीं दिख रहा है। कश्मीर में क्या हो रहा है? हम जो देखते हैं वह सामान्य स्थिति से बहुत दूर है। आतंकी गतिविधियां बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा चुनौतियां मणिपुर, जम्मू और कश्मीर में हैं।
चीन हमारी जमीनों पर कब्जा कर रहा
कांग्रेस नेता ने कहा कि आतंरिक सुरक्षा के अलावा हमारी सीमाओं पर चीनी चुनौती भी है। विभिन्न स्तरों पर कई वार्ताओं के बावजूद चीनी विरोध में डटे हुए हैं। उन्होंने सवाल किया कि'यथास्थिति' जैसे साहसी शब्दों का क्या हुआ? इसके विपरीत, यथास्थिति हर दिन बदल रही है। हम क्षेत्र खो रहे हैं और चीनी क्षेत्र को बनाए रख रहे हैं या उस पर कब्ज़ा कर रहे हैं। जबकि पीएम मोदी दावा कर रहे कि भारतीय क्षेत्र में किसी ने घुसपैठ नहीं की है। मोदी के दावे ने चीन को एक इंच भी पीछे न हटने की अपनी जिद पर कायम रहने के लिए प्रोत्साहित किया है।
लगातार बढ़ रहा ब्याजदर
उन्होंने कहा कि पिछले कई महीनों से आरबीआई महंगाई का हवाला देकर ब्याज दर बढ़ा रहा है। इस बात के पूरे संकेत हैं कि इससे ब्याज दर फिर बढ़ेगी। कई वस्तुओं पर खुदरा महंगाई दर दहाई अंक के करीब या उसके पार पहुंच गई है। खाद्य मुद्रास्फीति 10% से अधिक है। सरकार के पास कोई स्पष्टीकरण नहीं है। थोक मूल्य सूचकांक गिर रहा है लेकिन खुदरा कीमतें बढ़ रही हैं। बेरोज़गारी 8.5% के करीब है। मासिक निर्यात में गिरावट आई है। कई संकेतक गंभीर संकट की ओर इशारा कर रहे हैं। हमारे पास मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, धीमी वृद्धि, गिरता निर्यात और आयात है।
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