सार

ब्रह्मोस मिसाइल का नया वर्जन ब्रह्मोस एनजी (BrahMos Next Generation) 2025 तक तैयार हो जाएगा। सुखोई 30 एमकेआई के साथ ही तेजस फाइटर प्लेन को भी इस मिसाइल से लैस किया जाएगा। इससे तेजस की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।
 

गांधीनगर (Anish Kumar)। ब्रह्मोस की गिनती दुनिया के सबसे घातक क्रूज मिसाइलों में होती है। इसके हवा से जमीन पर मार करने वाले वैरिएंट के आने से वायु सेना की ताकत काफी बढ़ गई है। इसकी मदद से भारतीय वायु सेना 300 किलोमीटर की दूरी से ही दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर सकती है। इतनी अधिक रेंज हमला करने की ताकत को कई गुना बढ़ा देती है। 

ब्रह्मोस बड़ा और भारी मिसाइल है। इसका हवा से जमीन पर मार करने वाला वर्जन भी इतना अधिक भारी है कि भारतीय वायु सेना के सिर्फ सुखोई 30 एमकेआई विमान ही उसे लेकर उड़ान भर सकते हैं। इस परेशानी के हल के लिए कम वजन और छोटे आकार वाला वर्जन तैयार किया जा रहा है। इसे ब्रह्मोस एनजी (BrahMos Next Generation) नाम दिया गया है। वायु सेना के स्वदेशी फाइटर प्लेन तेजस को भी इस मिसाइल से लैस किया जाएगा। इससे तेजस की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। ब्रह्मोस एनजी का रेंज 300 किलोमीटर होगा। इससे तेजस दुश्मन के वायु क्षेत्र में गए बिना भी हमला करने में सक्षम हो जाएगा। 

ब्रह्मोस एनजी 2025 तक भारतीय वायु सेना को दिया जा सकता है। इस मिसाइल से सुखोई -30 और हल्के लड़ाकू विमान तेजस को लैस किया जाएगा। एशियानेट से बात करते हुए ब्रह्मोस एयरोस्पेस के जीएम (एयर वर्जन) ग्रुप कैप्टन एमके श्रीवास्तव (सेवानिवृत्त) ने कहा, "हम 300 किमी के करीब रेंज की तलाश कर रहे हैं। हम अभी डिजाइन स्टेज में हैं। इसलिए रेंज में बदलाव की संभावना है। यह 300 किसी से कम या अधिक भी हो सकता है।"

पहले जमीन फिर समुद्री टारगेट वाला वर्जन होगा तैयार
कैप्टन एमके श्रीवास्तव ने बताया कि ब्रह्मोस एनजी को पहले जमीन पर मौजूद टारगेट पर अटैक करने के लिए बनाया जा रहा है। इसमें सफलता मिलने के बाद उसके समुद्री टारगेट को नष्ट करने वाले वर्जन पर काम होगा। लैंड अटैक वर्जन तैयार होने के बाद उसके नेवल वर्जन बनाने में 10-12 महीने लगेंगे। श्रीवास्तव ने कहा, "हम उम्मीद कर रहे हैं कि मिसाइल की आपूर्ति के लिए अनुबंध पर साइन करने के समय से ही धन उपलब्ध होगा। हमने अपने रिजर्व से मिसाइल का नया वर्जन विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है ताकि काम समय पर पूरा किया जा सके।"

हल्का और छोटा होगा ब्रह्मोस का नया वर्जन
ब्रह्मोस एनजी वजन में हल्का और आकार में छोटा होगा। वायुसेना के कई विमानों को इससे लैस किया जा सकेगा। एमके श्रीवास्तव ने बताया कि अभी हम सुखोई-30 एमकेआई और तेजस को ब्रह्मोस एनजी से लैस करने की योजना पर काम कर रहे हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश लखनऊ में स्थित डिफेंस कॉरिडोर में मिसाइल बनाने वाली इकाइयों की स्थापना के लिए बुनियादी ढांचा तैयार किया जा रहा है। DefExpo2022 में ब्रह्मोस एयरोस्पेस के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि बुनियादी ढांचे का निर्माण कार्य दो साल के भीतर पूरा हो जाएगा। इसके बाद उत्पादन शुरू हो जाएगा। हम 2025 तक भारतीय वायुसेना को घातक हथियार प्रणाली पहुंचाना शुरू कर देंगे।

ब्रह्मोस एनजी का हो सकता है निर्यात 
ग्रुप कैप्टन एमके श्रीवास्तव ने कहा कि ब्रह्मोस एनजी मिसाइल सिस्टम में निर्यात की काफी संभावनाएं हैं। यह कई प्लेटफार्मों पर फिट बैठता है। हम निर्यात की संभावना की तलाश कर रहे हैं। अगले 3-4 साल में इसका निर्यात शुरू कर देंगे। कई देशों के पास छोटे लड़ाकू विमान हैं। ब्रह्मोस एनजी हल्का और छोटा होने के चलते उन विमानों में फिट होगा। कई अफ्रीकी और पश्चिम एशियाई देशों ने ब्रह्मोस एनजी में रुचि दिखाई है। 

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उन्होंने कहा कि इसका वजन 1.6 टन और लंबाई 6 मीटर है। पुराने वर्जन का वजन 3 टन और लंबाई 9 मीटर थी। मिसाइल की मारक क्षमता 290 किमी और गति 3.5 मैक (4287 किलोमीटर प्रति घंटा) तक है। नए वर्जन में पिछले वर्जन की तुलना में कम रडार क्रॉस-सेक्शन है। ब्रह्मोस एनजी में एईएसए रडार के साथ एक स्वदेशी सीकर लगा है। 

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