सार
दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक सफर में फिलहाल उथल-पुथल मची हुई है। इसकी दो सबसे बड़ी वजह है और दोनों के तार घोटाले से जुड़े हुए है।
अरविंद केजरीवाल। दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक सफर में फिलहाल उथल-पुथल मची हुई है। इसकी दो सबसे बड़ी वजह है और दोनों के तार घोटाले से जुड़े हुए है। एक तरफ बीते कई महीनों से केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम शराब घोटाले मामले में पूछताछ के लिए रिकॉर्ड 9 बार समन भेज चुकी है, वहीं अब एक और मुसीबत सीएम केजरीवाल के माथे आ मढ़ा है। ये मामला जोड़ा है दिल्ली जल बोर्ड (DCB) घोटाले से।
जी हां, दिल्ली के सीएम केजरीवाल को शराब घोटाले के बाद अब दिल्ली जल बोर्ड घोटाले को लेकर ED ने पूछताछ के लिए पहला समन भेजा है। हालांकि, जिसका सब को शक था, वहीं हुआ सीएम केजरीवाल ने शराब घोटाला मामले की तरह दिल्ली जल बोर्ड के समन पर भी हाजिर नहीं हुए और ये दलील दिया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) के तरफ से भेजे गए सारे समन गैरकानूनी है। उन्हें पहले ही कोर्ट से जमानत मिल चुकी है तो उन्हें बार-बार समन क्यों भेज रहा है?
क्या है दिल्ली शराब नीति मामला?
दिल्ली सरकार ने साल 2020 और 2021 के दौरान कोरोना काल के बीच राज्य में दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 लागू की थी। दिल्ली में नई एक्साइज पॉलिसी 17 नवंबर, 2020 को लागू की गई थी। इस शराब नीति को लेकर कथित अनियमितता की शिकायतें आईं , जिसके बाद दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 22 जुलाई 2022 को कथित घोटाले में सीबीआई जांच की सिफारिश की। तब दिल्ली के मुख्य सचिव ने एक रिपोर्ट में कहा कि शराब के लाइसेंस लेने वालों को अवैध लाभ देने के लिए बड़े स्तर पर नियमों का उल्लंघन किया गया।
इसके बाद नीति को रद्द कर दिया गया है और तब से आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेताओं को इस दौरान सीबीआई और ईडी के जांच का सामना करना पड़ रहा है। नतीजा ये हुआ कि दिल्ली के कई बड़े नेता भी इस मामले में नप गए है, जिनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया,संजय सिंह और सत्येंद्र जैन को इसे जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है। इसके अलावा ऐसे दर्जनों लोग को दिल्ली शराब नीति मामले में गिरफ्तार हैं।
दिल्ली जल बोर्ड में 450 करोड़ का घपला
दिल्ली जल बोर्ड के ठेकों लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया है कि इस बढ़ी हुई दरों पर तय किया गया। इसके पीछे का मकसद है कि ठेकेदारों से रिश्वत वसूली जा सके। इस दौरान टेंडर का रेट 38 करोड़ रुपये आंका गया था, लेकिन इसमें सिर्फ 17 करोड़ रुपये खर्च किए गए और बाकी की धनराशि घोटाले के हत्थे चढ़ गई। इसके अलावा गौरव भाटिया ने कहा कि 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को 2 कैटेगरी में बांटा गया। पहली कैटेगरी में केवल अपग्रेडेशन होना था और दूसरी कैटेगरी में क्षमता बढ़ाने का काम होना था।
इसके एवज में कुल लागत 1500 करोड़ की लगी, लेकिन रेट बढ़ाकर 1,938 करोड़ रुपये का बजट दिया गया। इस तरह से लगभग 400 से 450 करोड़ रुपये का घोटाला सामने निकला। इसी संबंध में प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने दिल्ली जल बोर्ड मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (Money Laundering) की धारा 50 के तहत केजरीवाल को समन जारी किया था। ईडी दिल्ली जल बोर्ड में अवैध टेंडरिंग और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है।