EXCLUSIVE: दिल्ली ब्लास्ट केस में चौंकाने वाला खुलासा-डॉ. मुजम्मिल आटा चक्की में यूरिया पीसकर विस्फोटक बनाता था। NIA की जांच में 2900 किलो बम मैटेरियल, दो गुप्त कमरे और डॉक्टरों का पूरा टेरर मॉड्यूल सामने आया।
नई दिल्ली। दिल्ली ब्लास्ट केस की जांच जितनी आगे बढ़ रही है, कहानी उतनी ही चौंकाने वाली होती जा रही है। किसी को कल्पना भी नहीं थी कि अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े तीन डॉक्टर—डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन और डॉ. आदिल ने अपने मेडिकल करियर के साथ एक खतरनाक आतंकी नेटवर्क भी चला रहे थे। NIA की टीम ने फरीदाबाद और धौज गांव से जो सामग्री बरामद की, उसने पूरे मॉड्यूल का सच सामने ला दिया। सबसे चौकाने वाली बात यह रही कि डॉ. मुजम्मिल आटा चक्की में यूरिया पीसकर विस्फोटक तैयार करता था। और इसे वह एक टैक्सी ड्राइवर के घर रख आया था-नाम पूछने पर बोला कि “यह बहन के दहेज में मिली हुई चक्की है।” लेकिन सच्चाई बहुत अलग और बेहद खतरनाक थी।
क्यों आटा चक्की बनी बम बनाने का सबसे बड़ा हथियार?
जांच में सामने आया कि चक्की सिर्फ आटा नहीं पीसती थी। डॉ. मुजम्मिल इसी मशीन में यूरिया को बारीक पीसता था, फिर मेटल मेल्टिंग मशीन में उसे रिफाइन करता था। इसके बाद अल फलाह यूनिवर्सिटी की लैब से चोरी किए गए केमिकल इस पाउडर में मिलाए जाते थे। यही मिश्रण आगे चलकर घातक विस्फोटक बन जाता था। NIA ने 9 नवंबर को धौज गांव के उस कमरे से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया, जहां मुजम्मिल यह काम करता था। जबकि 10 नवंबर को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फतेहपुरतगा में उसके दूसरे कमरे से 2558 किलो विस्फोटक जैसी सामग्री जब्त की। कुल मिलाकर करीब 2900 किलो विस्फोटक सामग्री इस मॉड्यूल से मिली है, जो किसी बड़े आतंकी हमले की तैयारी की ओर इशारा करती है।
टैक्सी ड्राइवर कैसे पहुंचा आतंकियों के बीच?
ये पूरी कहानी तब शुरू हुई जब ड्राइवर के छोटे बेटे पर गर्म दूध गिर गया और वह गंभीर रूप से झुलस गया। उसे अल फलाह अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉ. मुजम्मिल ने उसका इलाज किया। यहीं से बातचीत शुरू हुई और धीरे-धीरे ड्राइवर उसके संपर्क में आने लगा। इसी बीच मुजम्मिल एक दिन आटा चक्की और मशीनें उसके घर रख गया। ड्राइवर को शक न हो, इसलिए उसने इसे ‘दहेज’ बताया, लेकिन एक दिन NIA ने दरवाजा खटखटाया और ड्राइवर को असली सच्चाई पता चली।
कौन चला रहा था डॉक्टरों का ‘व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’?
सूत्रों के मुताबिक यह कोई साधारण नेटवर्क नहीं था। इसकी पूरी प्लानिंग बेहद प्रोफेशनल थी।
1. डॉ. मुजम्मिल (मुख्य भर्तीकर्ता + विस्फोटक तैयार करने वाला)
- मुस्लिम युवाओं को आतंकी नेटवर्क में लाने का काम
- आटा चक्की में यूरिया पीसना और उसे रिफाइन कर विस्फोटक बनाना
- जगह-जगह कमरे किराए पर लेना
- SIM कार्ड खरीदना, लॉजिस्टिक सपोर्ट
2. डॉ. शाहीन उर्फ ‘Madam Surgeon’ (ब्रेनवॉश + फंडिंग + महिला सेल)
- आर्थिक मदद देना
- लोगों को भावनात्मक व धार्मिक तरीके से ब्रेनवॉश करना
- डायरी में महिला आतंकी टीम की लिस्ट
- किसको कितने पैसे देने हैं, इसका फैसला करना
3. डॉ. उमर नबी (मर चुका, लेकिन मास्टरमाइंड)
- प्लानिंग
- धमाके की रणनीति
- आतंकी गतिविधियों का कोर मैनेजमेंट
4.अन्य सदस्य-आदिल, इरफान, जसीर, आमिर
- टेक्निकल मदद
- हथियार छिपाना
- पोस्टर लगाना
- वाहनों और SIM सप्लाई का काम
यह पूरा मॉड्यूल सफेद कोट के पीछे छुपे खतरनाक चेहरों जैसा था।
क्या दिल्ली ब्लास्ट सिर्फ एक शुरुआत थी?
बरामद किए गए विस्फोटक की मात्रा इतनी ज्यादा है कि विशेषज्ञों का मानना है कि यह किसी बड़े हमले की तैयारी थी। NIA शक कर रही है कि उनके कई अन्य ठिकाने और सपोर्टर भी हो सकते हैं।
महिला आतंकी टीम क्यों बनाना चाहती थी 'मैडम सर्जन'?
सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि डॉ. शाहीन की डायरी में लड़कियों की एक लिस्ट मिली, जिनका इस्तेमाल “महिला आतंकी टीम” बनाने के लिए किया जाना था। फिलहाल NIA इस लिस्ट के आधार पर कई महिलाओं से पूछताछ कर रही है। यह साफ दिखाता है कि उसका मकसद एक महिला आतंकी विंग बनाना था। हालाँकि वह इसमें पूरी तरह सफल नहीं हो सकी और जिम्मेदारी उसने मुजम्मिल को सौंप दी।
क्या अस्पताल इलाज का बहाना था और भर्ती का असली खेल कुछ और?
सबसे बड़ा सवाल है कि क्या अस्पताल में इलाज के नाम पर मरीजों और उनके परिवारों की कमजोरियां समझकर उन्हें नेटवर्क में शामिल किया जाता था? जांच एजेंसी इस एंगल पर भी गहराई से पड़ताल कर रही है।
क्या दिल्ली ब्लास्ट केस ने देश का सबसे बड़ा ‘डॉक्टर टेरर मॉड्यूल’ उजागर कर दिया है?
मेडिकल पढ़े-लिखे लोगों द्वारा ऐसा नेटवर्क चलाना पूरी कहानी को और खतरनाक बनाता है। NIA को शक है कि इस मॉड्यूल का लिंक कश्मीर, दिल्ली, हरियाणा और UP तक फैला हो सकता है।


