सार

ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन के सीईओ अखिलेश मिश्रा ने कहा कि द वायर प्रकरण में जानबूझकर स्टोरी प्रकाशित की गई। इसमें किसी तरह की मिसलीड की बात करना गलत है। दिल्ली पुलिस का इस केस में आपराधिक जांच करना सही है।

The wire controversy: न्यूज साइट 'द वायर' के दो संपादकों के घरों को दिल्ली पुलिस ने सोमवार को सर्च किया। बीजेपी आईटी सेल के इंचार्ज अमित मालवीय ने न्यूज वेबसाइट पर अपनी प्रतिष्ठा धूमिल करने की साजिश करने के लिए मनगढ़त खबर प्रकाशित करने का आरोप लगाया है। पुलिस ने सर्च के बाद द वायर के संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और एमके वेणु के घरों पर सर्च के बाद लैपटॉप और फोन जब्त कर लिए हैं। हालांकि, द वायर ने शिकायत के बाद ही इससे संबंधित सभी स्टोरी वापस ले ली थी। न्यूज वेबसाइट ने अपने एक पूर्व सलाहकार पर गलत जानकारी देकर न्यूज लिखवाने की बात कही गई थी। लेकिन कई जानकारों का मानना है कि न्यूज वेबसाइट के संपादकों व अन्य जिम्मेदारों ने ऐसा जानबूझकर किया।

जानबूझकर लगातार की गई स्टोरी पब्लिश

ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन के सीईओ अखिलेश मिश्रा ने कहा कि द वायर प्रकरण में जानबूझकर स्टोरी प्रकाशित की गई। इसमें किसी तरह की मिसलीड की बात करना गलत है। दिल्ली पुलिस का इस केस में आपराधिक जांच करना सही है। मिश्र ने सवाल खड़े किए कि सोशल मीडिया और मेटा द्वारा प्रारंभिक वायर स्टोरी को मनगढ़ंत बताने के बाद वायर/वरदराजन ने क्या किया? क्यों उन्होंने गढ़े हुए एंडी स्टोन के ईमेल की जांच नहीं की। इसका दो बाहरी विशेषज्ञों से कैसे फर्जी तरीके से सत्यापन कराया गया। आखिर वह कौन था जिसने इसे कराया। उन्होंने पूछा कि वरदराजन ने दावा किया कि वायर आंतरिक कंप्यूटरों में टेल्सओएस के कारण दोषपूर्ण तारीख की मुहर थी। इस जालसाजी को सक्षम करने के लिए वायर कंप्यूटर का उपयोग किसने किया? अखिलेश मिश्र ने बताया कि वरदराजन ने दावा किया कि वह खुद मेटा स्रोतों से मिले थे। ये नकली स्रोत कौन थे? उन्होंने दावा किया कि यह पूरी जालसाजी अकेले देवेश कुमार का नहीं हो सकता बिना वरदराजन व अन्य का साथ मिले।


द वायर ने पूर्व सलाहकार देवेश कुमार के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत

उधर, अमित मालवीय व फेसबुक के संबंधों का खुलासा करने वाली द वायर की रिपोर्ट को वापस लेने के बाद न्यूज वेबसाइट ने अपने एक पूर्व सलाहकार देवेश कुमार के खिलाफ शिकायत दर्ज की है। न्यूज वेबसाइट का आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर मनगढ़ंत विवरण दिया था। द वायर ने एक बयान में कहा कि उसे धोखाधड़ी से जानकारी दी गई थी। संभव है कि द वायर को बदनाम करने के लिए ऐसा किया गया हो। यह किसी के इशारे पर भी किया जा सकता है। द वायर ने इस पूरे प्रकरण की जांच की बात करते हुए शिकायत दर्ज कराई थी।

क्या था पूरा मामला?

न्यूज साइट 'द वायर' ने बीजेपी और उसके आईटी सेल इंचार्ज अमित मालवीय को लेकर एक सीरीज स्टोरी पब्लिश की थी। इस स्टोरीज में 'द वायर' ने दावा किया था कि सोशल मीडिया दिग्गज व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम की मूल कंपनी मेटा ने बीजेपी नेता अमित मालवीय को कुछ विशेषाधिकार दिए थे। इस विशेषाधिकार का उपयोग वह उन पोस्ट को हटाने के लिए कर सकते थे जो उनके विचार से बीजेपी के खिलाफ या उसके आलोचनात्मक थे।

मेटा और मालवीय ने किया था इनकार

हालांकि, न्यूज साइट 'द वायर' के आरोपों को बीजेपी नेता अमित मालवीय ने खारिज कर दिया था। मालवीय ने कहा कि द वायर ने एक फर्जी कहानी भी प्रकाशित की जिसमें आरोप लगाया गया कि भाजपा द्वारा सोशल मीडिया पोस्ट को इंटरसेप्ट करने के लिए एक अलौकिक ऐप टेक फॉग का इस्तेमाल किया गया था। न्यूज साइट 'द वायर' ने शिकायत के बाद अपनी स्टोरीज को वापस ले ली थी। इसके बाद अमित मालवीय ने दिल्ली पुलिस को अपने प्रतिष्ठा को धूमिल करने सहित कई आरोप लगाते हुए न्यूज साइट 'द वायर' के संपादकों व कंपनी के कुछ जिम्मेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद कार्रवाई शुरू कर दी है।

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