सार

डिजिटल विलेज पायलट प्रोजेक्ट (Digital Village Pilot Project) को लेकर दैनिक भास्कर अखबार में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई। केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar) ने इस रिपोर्ट को तथ्यात्मक रुप से गलत करार दिया है।

 

Digital Village Pilot Project. केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने दैनिक भास्कर में प्रकाशित डिजिटल विलेज पायलट प्रोजेक्ट को भ्रामक बताया है। उन्होंने ट्वीट करके रिपोर्ट पर परत दर परत फैक्ट्स सामने रखे हैं। यह रिपोर्ट राजस्थान के कोटा से प्रकाशित हुआ है, जिसमें डिजिटल विलेज पायलट प्रोजेक्ट की पड़ताल करने का दावा किया गया है। वहीं केंद्रीय मंत्री ने रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट करके सच्चाई को सामने रखा है।

केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर का ट्वीट

केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने ट्वीट किया कि डिजिटल विलेज पायलट प्रोजेक्ट अभी सिर्फ पायलट प्रोजेक्ट है। यह देश के केवल 700 गांवों के लिए बनाया गया है, जिसमें प्रत्येक जिले से एक गांव का चयन किया गया है। इस प्रोजेक्ट पर कुल 98 करोड़ की लागत आई है जबकि मीडिया रिपोर्ट में इसे बढ़ा चढ़ाकर बताया गया है। यह प्रोजेक्ट सिर्फ उन गांवों के लिए है, जहां पर भारत नेट या कोई और नेटवर्क उपलब्ध है। इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत सभी 700 गावों में एजुकेशन के लिए कंप्यूटर कोर्स, हेल्थ के लिए टेली कम्युनिकेशन, स्किल डेवलपमेंट और हर गांव में 8 स्ट्रीट सोलर लाइट्स लगाई जानी है।

 

 

जानें दावा और सच्चाई क्या है

  • अखबार का दावा- 4.5 लाख गांव बनेंगे डिजिटल विलेज
  • केंद्रीय मंत्री ने कहा- अभी सिर्फ पायलट प्रोजेक्ट की शुरूआत
  • अखबार का दावा- 1050 गावों का चयन किया गया
  • केंद्रीय मंत्री का सच- हर जिले से 1 गांव यानि कुल 700 गांव चयनित
  • अखबार का दावा- चयनित गांवों में इंटरनेट नहीं चला
  • केंद्रीय मंत्री का सच- सिर्फ इंटरनेट कनेक्टेड गांव ही चयनित
  • अखबार का दावा- 1000 करोड़ रुपए का बजट
  • केंद्रीय मंत्री का सच- पायलट प्रोजेक्ट पर 98 करोड़ रुपए का खर्च
  • अखबार का दावा- चयनित गांव में हाईमास्ट स्ट्रीट लाइट
  • केंद्रीय मंत्री का सच- चयनित गांव में 8 सोलर लाइट की योजना

किन गांवों में कैसे लागू हुई है यह योजना

केंद्रीय मंत्री ने उन गांवों का जिक्र किया है, जहां यह योजना लागू की गई। राजस्थान के बांसवाड़ा गांव का फैक्ट बताते हुए उन्होंने ट्वीट किया कि इस गांव की जांच की गई और यहां सभी सोलर लाइट्स सीएससी वीएलई के माध्यम से लगाई गई हैं। डिजिटल विलेज प्रोजेक्ट के तहत यही संस्था काम देखती है। डिजिटल विलेज प्रोजेक्ट के तहत करौली गांव में योजना लागू हुई है। यहां कंप्यूटर कोर्स ऑफर किया जा रहा है और स्टूडेंट नजदीक के डिजिटल विलेज सेंटर से एग्जाम दे सकते हैं। कंप्यूटर कोर्स के लिए NIELIT परीक्षा होती है। जहां तक बारन गांव की बात है तो पहली प्राथमिकता यही है कि जिन गांवों में इंटरनेट कनेक्टिविटी है, वहीं पर यह स्कीम लागू होती है। कोटा में जो सोलर लाइट्स काम नहीं कर रही हैं, उसे सही कराया जा रहा है। बूंदी में डिजिटल विलेज प्रोजेक्ट के तहत सर्विस ऑफर की जा रही है।

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