कर्नाटक में सत्ता बंटवारे को लेकर एक सीक्रेट डील होने के डीके शिवकुमार के बयान ने कांग्रेस में फिर से विवाद खड़ा कर दिया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस भ्रम को खत्म करने के लिए हाईकमान से दखल देने की मांग की है। 

बेंगलुरु: कर्नाटक में नेतृत्व को लेकर विवाद फिर से गरमा गया है। इस बीच, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने हाईकमान से इस भ्रम को खत्म करने के लिए कहा है। उनका यह बयान उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के उस दावे के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सत्ता बंटवारे को लेकर पार्टी के पांच-छह लोगों के बीच एक सीक्रेट डील हुई थी। इससे पहले एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन का मुद्दा सार्वजनिक रूप से चर्चा करने वाला नहीं है। 20 नवंबर को कांग्रेस सरकार के पांच साल के कार्यकाल का आधा हिस्सा पूरा होने के बाद, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में फेरबदल की अटकलें तेज हो गई थीं। 

2023 में सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच हुए सत्ता-बंटवारे के समझौते की बातें अब चर्चा में हैं। सिद्धारमैया ने कहा कि इस मामले पर हाईकमान का फैसला उन पर और शिवकुमार समेत सभी पर लागू होगा। उन्होंने कहा, "आखिरकार, फैसला हाईकमान को ही लेना है। हम उसका पालन करेंगे।" उन्होंने यह भी मांग की कि इस भ्रम पर पूरी तरह से विराम लगाने के लिए हाईकमान को फैसला लेना चाहिए। उन्होंने यह भी साफ किया कि इस मुद्दे पर राहुल गांधी से मिलने की उनकी कोई योजना नहीं है।

इस पर डीके शिवकुमार की प्रतिक्रिया थी कि वह इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से बात नहीं करना चाहते क्योंकि पार्टी के अंदर 5-6 लोगों के बीच एक सीक्रेट डील हुई थी। उन्होंने कहा, "मैंने मुख्यमंत्री बनाने की मांग नहीं की है। यह पांच या छह लोगों के बीच एक सीक्रेट डील है। मैं इस बारे में सार्वजनिक रूप से बात नहीं करना चाहता।" उन्होंने यह भी कहा कि वह पार्टी को शर्मिंदा या कमजोर नहीं करना चाहते।

वहीं, कांग्रेस के अंदर सत्ता का यह संघर्ष विपक्ष, यानी बीजेपी और जेडीएस के लिए एक हथियार बन गया है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी पार्टी के नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए लड़ रहे हैं और शासन की अनदेखी कर रहे हैं।