सार
द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं। 25 जुलाई को चीफ जस्टिस एनवी रमना ने उन्हें संसद भवन में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस दौरान द्रौपदी मुर्मू व्हाइट साड़ी में दिखीं, जिसमें भगवा और हरे रंग की बॉर्डर थी। जानते हैं आखिर क्या है इस साड़ी की खासियत और कितनी है कीमत।
Draupadi Murmu Oath Ceremony: द्रौपदी मुर्मू ने देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई को शपथ ग्रहण की। इस दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। मुर्मू ने सुबह सवा 10 बजे संसद भवन के सेंट्रल हॉल में शपथ ली। इस दौरान उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई। शपथ ग्रहण के दौरान द्रौपदी मुर्मू व्हाइट साड़ी में दिखीं, जिसमें भगवा और हरे रंग की बॉर्डर थी। जानते हैं आखिर क्या है इस साड़ी की खासियत और कितनी है कीमत।
बुनकर अपने हाथ से बनाते हैं ये साड़ी :
द्रौपदी मुर्मू ने शपथ ग्रहण के दौरान जो साड़ी पहनी, उसे संथाली साड़ी कहते हैं। इस साड़ी को बुनकरों द्वारा हाथ से बनाया जाता है। संथाली साड़ियों के एक छोर में कुछ धारियों का काम होता है और संथाली समुदाय की महिलाएं इसे विशेष अवसरों पर पहनती हैं। संथाली साड़ी दोनों छोरों पर समान डिजाइन होती है। इसके साथ ही इसमें एक जैसी धारियां होती हैं।
संथाली साड़ी में होते हैं इस तरह के डिजाइन :
संथाली साड़ी में पहले तीर-धनुष के डिजाइन बने होते थे। हालांकि बदलते समय के साथ अब इन पर मोर पंख, फूल, बतख और दूसरे डिजाइन भी बनाए जाने लगे हैं। यह साड़ी केवल झारखंड ही नहीं, बल्कि ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम के अलावा भी कई राज्यों में पॉपुलर है। पारंपरिक तौर पर यह साड़ी एक दौर में झारखंड के संताल परगना इलाके में ही पॉपुलर थी। लेकिन अब धीरे-धीरे यह पूरे प्रदेश में पसंद की जाने लगी है।
कैसे बनती है संथाली साड़ी?
संथाली साड़ी को हैंडलूम में तैयार किया जाता है। इसे बुनकर अपने हाथों से व्हाइट कॉटन के कपड़े पर रंगीन धागों की मदद से बनाते हैं। संथाली समाज की औरतें बाहा, सोहराय, सरहुल और करमा समेत अन्य जनजातीय त्योहार के अवसर पर इस साड़ी को पहनती हैं। यह साड़ी न केवल उन्हे अपनी परंपराओं से जोड़ती है बल्कि धीरे-धीरे यह मॉर्डर्न फैशन भी बन रही है। बता दें कि शादी के मौके पर संथाली महिलाएं सफेद की जगह पीली या फिर लाल साड़ी पहनती हैं।
जानें कितनी है साड़ी की कीमत?
हाथ से बनने की वजह से यह साड़ी थोड़ी महंगी होती है। इसकी कीमत आमतौर पर एक हजार रुपए से लेकर 5 हजार रुपए के बीच होती है। हालांकि, अब तेजी से इस साड़ी की डिमांड बढ़ रही है, जिसके चलते इन्हें मशीन द्वारा भी बनाया जाने लगा है।
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