DRDO ने फाइटर जेट के लिए 'स्वदेशी एस्केप सिस्टम' की सफल टेस्टिंग की। 800 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड पर चंडीगढ़ में हाई-स्पीड रॉकेट-स्लेज टेस्ट हुआ, जिसमें डमी पायलट को सुरक्षित बाहर निकाला गया। यह सिस्टम खराब हालात में भी विश्वसनीय है।
DRDO Successfully Test Escape System: डिफेंस सेक्टर में भारत के नाम एक और नया अचीवमेंट जुड़ गया है। दरअसल, डीआरडीओ ने फाइटर जेट क्रैश के दौरान पायलट की जान बचाने वाले 'स्वदेशी एस्केप सिस्टम' की सफल टेस्टिंग की है। परीक्षण के दौरान इस सिस्टम ने डमी पायलट को विमान से सुरक्षित बाहर निकालने का टास्क पूरा किया।
800 किलोमीटर प्रतिघंटा की कंट्रोल स्पीड पर हुई टेस्टिंग
रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने फाइटर एयरक्राफ्ट एस्केप सिस्टम का सफल हाई-स्पीड रॉकेट-स्लेज टेस्ट किया है। इस टेस्ट ने दिखाया कि पायलट-इजेक्शन मैकेनिज्म बहुत खराब हालात में भी सही और सुरक्षित तरीके से काम करता है। मंत्रालय ने एक वीडियो के साथ सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि यह टेस्ट चंडीगढ़ में टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी (TBRL) की रेल ट्रैक रॉकेट स्लेज (RTRS) फैसिलिटी में 800 km/h की एकदम कंट्रोल्ड स्पीड पर किया गया।
कैसे पायलट को सुरक्षित बाहर निकालेगा ये मैकेनिज्म?
रक्षा मंत्रालय की ओर से शेयर की गई वीडियो क्लिप में स्टेज्ड टेस्ट दिखाया गया है, जहां सिस्टम ने एक डमी पायलट को कॉकपिट से बाहर निकाला और उसे पैराशूट के जरिये सुरक्षित लैंड करवाया। वीडियो में दिखाया गया कि जब कोई फाइटर जेट जानलेवा स्थिति में होता है तो यह मैकेनिज्म कैसे सुरक्षित इजेक्शन को पक्का करेगा। डिफेंस मिनिस्ट्री के मुताबिक, ट्रायल ने मॉडर्न एस्केप सिस्टम के तीन जरूरी हिस्सों कैनोपी सेवरेंस, इजेक्शन सीक्वेंसिंग और कम्प्लीट एयरक्रू रिकवरी को पूरा किया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया माइलस्टोन
इस कामयाबी पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, इंडियन एयर फोर्स, ADA, HAL और इंडस्ट्री पार्टनर्स को बधाई दी है। साथ ही इसे एक अहम मील का पत्थर बताया, जो भारत की देसी डिफेंस क्षमताओं को मजबूत करेगा। यह डिफेंस टेक्नोलॉजी में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता का उदाहरण भी है।


