सार
कोरोना वायरस को भारत में 'कमजोर' करने अब वैक्सीनेशन ड्राइव को स्पीड दी जा रही है। इसी बीच एक और अच्छी खबर मिली है। शुक्रवार को भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया(DCGI) ने जायडस कैडिला की Virafin ड्रग्स को मंजूरी दे दी है। कंपनी का दावा है कि इस दवा से मरीजों को ऑक्सीजन देने की जरूरत नहीं पड़ती बता दें कि 1 मई से 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए वैक्सीनेशन शुरू होगा। इस समय दुनियाभर में वैक्सीनेशन के 889,990,259 डोज हो चुके हैं। भारत की पोजिशन 14वें नंबर पर है।
नई दिल्ली. इसे एक अच्छी खबर कह सकते हैं। भारत में कोरोना संक्रमण को काबू में करने शुक्रवार को भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया(DCGI) ने जायडस की Virafin ड्रग्स को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। जायडस का दावा करता है कि Virafin के इस्तेमाल के बाद 7 दिन में 91.15% कोरोना पॉजिटिव का RT-PCR टेस्ट निगेटिव निकला। कंपनी का यह भी दावा है कि ह्यूमन ट्रायल के दौरान इस दवा का इस्तेमाल करने वाले कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन लगाने की जरूरत नहीं पड़ी। इसलिए इस दवा का नतीजा बेहतर है। यानी यह मरीजों की सांस संबंधी समस्या को दूर करती है। अभी तक इस दवा का उपयोग हेपेटाइटिस सी के इलाज में किया जा रहा था। बता दें कि 1 मई से 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए वैक्सीनेशन अभियान भी शुरू होने जा रहा है। कोरोना वायरस को 'कमजोर' करने अब वैक्सीनेशन ड्राइव के अलावा दूसरी दवाओं पर भी रिसर्च चल रही है।
इस ड्रग्स के भारत में इस्तेमाल के बाद निश्चय ही कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई में गति आएगी और कोरोना संक्रमण पर काबू हो सकेगा। कंपनी का यह भी दावा है कि अगर कोरोना होने के शुरुआती समय में इसे दिया जाता है, तो तकलीफ कम होती है। उसे बीमारी से उबरने में मदद मिलती है। हालांकि अभी यह ड्रग्स डॉक्टर की सलाह पर ही दी जाएगी। कंपनी ने भारत में इस ड्रग्स का करीब 25 सेंटरों पर ट्रायल किया था। इसके परिणाम अच्छे निकले थे। यह दवा 18 साल से अधिक उम्र के लोगों पर असरदार साबित होगी।
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भारत में अब तक 16,263,695 केस आ चुके हैं। इनमें से 186,928 लोगों की मौत हो चुकी है। वैक्सीनेशन के मामले में भारत 14वें नंबर पर है। यहां 16 जनवरी से वैक्सीनेशन की शुरुआत की गई। अभी तक 45 प्लस और बीमार लोगों को ही वैक्सीन लगाई जा रही थी, लेकिन 1 मई से 18 प्लस के सभी लोगों को वैक्सीन लगेगी। भारत में कोवीशील्ड के 11.6 करोड़ डोज लग चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इनमें पहला डोज लगवाने के बाद 17,145 लोग संक्रमित पाए गए हैं, जबकि दूसरा डोज लगवाने के बाद इसकी संख्या घटकर 5014 हो गई है। वहीं, कोवैक्सिन का पहला डोज लेने के बाद 4208 लोग पॉजिटिव पाए गए, जबकि दूसरा डोज लेने के बाद केवल 695 लोग संक्रमित हुए। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स हैं। वैक्सीन के बाद संक्रमण का खतरा न के बराबर होता है। इस समय दुनियाभर में वैक्सीनेशन के 889,990,259 डोज हो चुके हैं।
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