सार
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा है कि चुनावी बॉन्ड योजना (Electoral Bonds Scheme) भ्रष्टाचार का मामला है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द करने का फैसला सुनाया है। कांग्रेस इसका स्वागत करती है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना (Electoral Bonds Scheme) को 'असंवैधानिक' बताते हुए इसे रद्द कर दिया है। कांग्रेस ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस संबंध में बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 2017 में चुनावी बॉन्ड योजना की घोषणा के दिन से इसका विरोध किया है।
उन्होंने आरोप लगाया, “चुनावी बॉन्ड योजना कुछ और नहीं, बल्कि भाजपा द्वारा अपना खजाना भरने के लिए बनाई गई एक 'काला धन सफेद करो योजना' थी।” पवन खेड़ा ने कहा कि चुनाव बॉन्ड योजना को सत्तारुढ़ शासन को लाभ पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया था। आरटीआई के प्रावधानों के बिना इस योजना को लागू किया गया, जिससे काले धन को सफेद करने को बढ़ावा मिल रहा था।
भ्रष्टाचार का मामला है इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम
पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेस में आरोप लगाया, "इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम भ्रष्टाचार का मामला है। देश पर इलेक्टोरल बॉन्ड थोपा गया था। चुनाव आयोग, वित्त मंत्रालय और लॉ मिनिस्ट्री के अधिकारियों ने इसका विरोध किया था।"
चुनाव बॉन्ड के नियम तोड़े गए
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा चुनावी बॉन्ड के नियम तोड़े गए थे। पवन खेड़ा ने कहा, “SBI को पहली किश्त अप्रैल 2018 में बेचनी थी, लेकिन पहला दौर एक महीने पहले मार्च 2018 में खोला गया। 222 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे गए, जिनमें से 95 फीसदी भाजपा के पास गए। मई 2018 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव होने थे। पीएमओ ने वित्त मंत्रालय को अगले 10 दिनों की विशेष अतिरिक्त विंडो खोलने का निर्देश दिया।”
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- चुनाव बॉन्ड पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं ये निर्देश
- SBI चुनावी बॉन्ड जारी करना तुरंत बंद कर देगा।
- 2019 के बाद से अभी तक किस पार्टी को कितना दान चुनावी बॉन्ड से मिला है इसकी जानकारी SBI द्वारा 6 मार्च 2024 तक चुनाव आयोग को दी जाएगी।
- SBI बताएगा कि चुनावी बांड के माध्यम से किस पार्टी को कितना दान मिला।
- SBI बताएगा कि राजनीतिक दलों ने कितने चुनावी बॉन्ड भुनाए हैं।
- चुनाव आयोग इस जानकारी को 13 मार्च 2024 तक अपने आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा।
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