सार
केरल के त्रिशूर में एक बंदर को एक बंदर को 11 केवीए लाइन का तेज करंट लगा और वह बुरी तरह से झुलस गया। त्रिशूर के पशु चिकित्सा क्लिनिक में बंदर का 41 दिनों तक ईलाज किया गया।
Electrocuted Monkey Treatment. केरल के त्रिशूर में एक बंदर को बचाने के लिए डॉक्टरों ने दिन-रात एक कर दिए और 41 दिनों के ईलाज के बाद बंदर की हालत में सुधार होने लगा। त्रिशूर के एरुमापेट्टी इलाके में 11 केवी लाइन से करंट लगने के बाद एक बंदर बुरी तरह से घायल हो गया। इसके बाद त्रिशूर के मचाड पशु चिकित्सा क्लिनिक में 41 दिनों तक बंदर का ईलाज किया गया, जिसके बाद उसकी सेहत में सुधार हुआ है।
41 दिनों तक चला बंदर का ईलाज
वन विभाग के पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अशोक की अगुवाई में बंदर का ईलाज किया गया। उन्होंने बताया कि पूरी तरह से ठीक हो जाने के बाद बंदर को फिर से जंगल में छोड़ दिया जाएगा। जानकारी के लिए बता दें कि बीते 6 जुलाई को एरुमापेट्टी में करंट लगने से बंदर की हालत खराब हो गई थी। बिजली के झटके से उसका हाथ और पैर कट गया था। 41 दिनों तक ईलाज मिलने के बाद गंभीर हालत वाला बंदर पूरी तरह ठीक हो गया है। पशु चिकित्सक डॉ. अशोक ने दावा किया कि जब उन्होंने शुरू में बंदर को देखा तो उन्हें नहीं लगा कि इसके बचने की कोई उम्मीद है। जब इसे बेहोश करने की दवा दी गई तो देखा गया कि सिर में भी गंभीर चोट है। हमने पूरी कोशिश की और बंदर को बचा लिया गया है।
होम्योपैथिक दवाओं का किया गया उपयोग
चिकित्सकों ने बताया कि पहले चरण के उपचार में होम्योपैथिक दवाओं का प्रयोग किया गया। साथ ही आंखों का उपचार भी किया गया। आखिरकार एक हफ्ते के बाद बंदर ने खाना शुरू किया। जब बंदर ने खाना शुरू कर दिया तो उसे एक अलग पिंजरे में ले जाया गया। बाद में विभिन्न तरह के उपचार आजमाए गए। अब यह पूरी तरह से ठीक है और जल्द ही इसे पास के जंगल में छोड़ दिया जाएगा। डॉक्टर ने कहा कि यदि दूसरे बंदर अब इस बंदर को ग्रुप में शामिल नहीं होने देंगे तो उसे फिर वापस लाया जाएगा ताकि सुरक्षा दी जा सके। वहीं पूरे शरीर पर चोट खाने के बाद बंदर के ठीक होने पर वन विभाग के कर्मचारी बहुत खुश हैं।
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