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ये बहुत शर्मनाक है: एम्बुलेंस देने से मना करने पर स्कूटर पर बच्चे की लाश को गोद में रख रोते हुए 120km दूर घर के लिए निकली मां
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विशाखापट्टन(VISAKHAPATNAM). यह शर्मनाक तस्वीर आंध्र प्रदेश की है। यहां एक कपल को केजी अस्पताल के अधिकारियों से एम्बुलेंस देने से मना कर दिया, लिहाजा उन्हें टूव्हीलर पर अपने बच्चे के शव को लेकर 120 किमी दूर अपने पैतृक गांव पडेरू लौटना पड़ा। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हुई है। लोगों ने हेल्थ सर्विस पर सवाल खड़े कर दिए हैं, लेकिन हॉस्पिटल अथॉरिटी ने चुप्पी साध ली है। यह शर्मनाक घटना तटीय आंध्र प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल किंग जार्ज हॉस्पिटल(KGH) की है। मुंचिंगपुत्तु मंडल की एक बस्ती कुमाडा के रहने वाले कपल ने अपने बच्चे को KGH में भर्ती कराया था। वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।
असहाय कपल ने बच्चे की लाश घर ले जाने के लिए अस्पताल से एम्बुलेंस मांगी, लेकिन मैनेजमेंट ने मना कर दिया। कपल रोता रहा-गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने टका-सा जवाब दिया कि वो 120 किमी के लिए एम्बुलेंस नहीं दे सकते। निराश कपल ने फिर स्कूटर पर ही बच्चे की लाश ले जाना तय किया। मां ने अपने कलेजे के टुकड़े की लाश को गोद में लिटाया और दोनों घर के लिए रवाना हो गए। हालांकि जब इसकी खबर पडेरू के अस्पताल को पता चली, तो उन्होंने एम्बुलेंस पहुंचाई। फिर बीच रास्ते से शव को एम्बुलेंस से कुमाडा घर तक लाया गया। इस मामले ने KGH हॉस्पिटल मैनेजमेंट की फजीहत करा दी है। यहां तक कि अस्पताल का IT सेल भी कपल की मदद करने में नकारा साबित हुआ।
हालांकि फजीहत होते देख KGH ने अपनी सफाई दी। एक प्रेस रिलीज में इसे एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताते हुए कहा कि शिशु की सुबह 7:50 बजे मौत हो गई थी। शव को 8:30 बजे माता-पिता को सौंप दिया गया। इसके बाद अस्पताल के ट्राइबल सेल को भी सुबह 8:40 बजे मौत की विधिवत सूचना दी गई और 9:15 बजे तक एंबुलेंस की भी व्यवस्था की गई। KGH ने दावा किया कि लेकिन कपल ने एम्बुलेंस की व्यवस्था होने तक इंतजार नहीं किया। वे सुबह 8.57 बजे ही बिना किसी को बताए वहां से चले गए। हालांकि अस्पताल ने जांच कराने की भी बात कही है।
ऐसा ही एक मामला 8 फरवरी को ओडिशा के नबरंगपुर में सामने आया था। यहां 35 वर्षीय व्यक्ति पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश के एक अस्पताल से लौटते समय अपनी पत्नी की लाश को कंधे पर लादकर कई किलोमीटर पैदल चला। वजह, ऑटो वाले ने उन्हें बीच रास्ते में उतार दिया था। बाद में पुलिसकर्मियों ने सामुलु पांगी नामक इस व्यक्ति को इस हालत में देखा, तो उनकी पत्नी इदे गुरु (30) के शव को पोट्टांगी प्रखंड के उनके सोरदा गांव ले जाने के लिए एक एम्बुलेंस की व्यवस्था की। क्लिक करके पढ़ें डिटेल्स...
यह घटना ओडिशा के भवानीपटना में 2016 की है, जब एक अन्य व्यक्ति, दाना मांझी एक अस्पताल द्वारा शववाहन से इनकार किए जाने के बाद अपनी पत्नी के शव को अपने कंधे पर लेकर लगभग 12 किलोमीटर तक चला था। इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरी और ओडिशा में सरकार के लिए शर्मिंदगी का कारण बनी थी।