सजा रद्द करने की मांग करते हुए आरोपी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। आरोपी ने कोर्ट में दावा किया कि उसने बच्ची को पिता समान स्नेह दिया था और उसका कोई गलत इरादा नहीं था।
मुंबई: 11 साल की बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न करने वाले पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल को बॉम्बे हाईकोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया है। जनरल कोर्ट मार्शल (जीसीएम) द्वारा सुनाई गई पांच साल की कैद की सजा रद्द करने की मांग वाली आरोपी की याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी। 2020 में पूर्व आर्मी अधिकारी ने अपने सहकर्मी की बेटी के साथ दुर्व्यवहार किया था।
आरोपी के बच्चों को देखने की इच्छा जताने पर आर्मी हवलदार अपने बेटे और बेटी को लेकर आरोपी के कमरे में गया था। हवलदार के कमरे से बाहर निकलते ही आरोपी ने लड़की के हाथ और जांघ को गलत तरीके से छुआ और यौन संबंधी बातें कीं। लड़की ने तुरंत अपने पिता को घटना के बारे में बताया। इसके बाद हवलदार ने आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। नाबालिग लड़की के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोप में सीजेएम ने आरोपी पर पॉक्सो सहित कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। कोर्ट मार्शल के आदेश को जनवरी 2024 में आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल (एएफटी) ने भी बरकरार रखा था।
सजा रद्द करने की मांग करते हुए आरोपी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि, जस्टिस रेवती मोहित डेरे और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ ने सजा रद्द करने से इनकार कर दिया। आरोपी ने कोर्ट में दावा किया कि उसने बच्ची को पिता समान स्नेह दिया था और उसका कोई गलत इरादा नहीं था। लेकिन कोर्ट ने कहा कि बच्ची 'बैड टच' को समझ सकती है। लड़की ने कोर्ट में बताया कि उसके पिता के कमरे से बाहर जाने के बाद आरोपी ने उसके साथ कैसा व्यवहार किया। घटना के तुरंत बाद लड़की ने अपने पिता को सूचित किया और उन्होंने शिकायत दर्ज कराई। इसलिए जीसीएम और एएफटी के निष्कर्षों को खारिज नहीं किया जा सकता।
