सार

नरोत्तम मिश्रा ने कहा, "जिस दिन इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाने का फैसला किया, उस दिन सोनिया गांधी प्रधानमंत्री आवास में मौजूद थीं।

Emergency 1975: मध्य प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने संसद में संविधान की प्रतियां साथ रखने के लिए कांग्रेस और INDIA गठबंधन की आलोचना की है। मिश्रा ने दावा किया कि 1975 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाने का फैसला लिया था, तब सोनिया गांधी प्रधानमंत्री आवास में मौजूद थीं। आज उनके बेटे राहुल गांधी संविधान पर बात कर रहे हैं। यह है कांग्रेस का असली चेहरा।

एमपी के पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा: जिस दिन इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाने का फैसला किया, उस दिन सोनिया गांधी प्रधानमंत्री आवास में मौजूद थीं। आज वह अपने बेटे (राहुल गांधी) के साथ संविधान की प्रति पकड़े हुए हैं। यह कांग्रेस का असली चेहरा है।

नरोत्तम मिश्रा मंगलवार को आपातकाल के दौरान मीसा के तहत जेल में बंद लोगों को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। एमपी बीजेपी ने कार्यक्रम को आयोजित किया था। पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्र ने कहा कि आज तक के इतिहास में कांग्रेस ने सबसे अधिक बार संविधान में संशोधन किया। 70 सालों में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में संविधान में 100 से अधिक बार संशोधन किया गया। अब कांग्रेस के लोग झूठे दावों के साथ लोगों को गुमराह कर रहे हैं।

इंडिया गठबंधन संविधान नहीं बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित

नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि इंडिया गठबंधन के नेता संविधान की रक्षा के लिए चिंतित नहीं हैं बल्कि अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता में हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा अब उन लोगों को आपातकाल की सच्चाई बताने के लिए कार्यक्रम आयोजित करेगी जिन्होंने काला दिवस नहीं देखा है।

दरअसल, 18वीं लोकसभा चुनाव में संविधान बदलने का मुद्दा हावी रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव के दौरान अबकी बार-400 पार का नारा दिया था। इस नारे को सही ठहराने के लिए बीजेपी के नेता सार्वजनिक सभाओं में यह कहते दिखे कि बीजेपी को इस बार 400 सीटें इसलिए चाहिए क्योंकि संविधान को बदलना है। बीजेपी के कई नेताओं का संविधान बदलने वाला बयान, पार्टी के गले का फांस बन गया। विपक्ष ने संविधान बदलने का मुद्दा जनता के बीच उठाया और लोकतंत्र की हत्या किए जाने पर चिंता जाहिर की। चुनाव में जनता के बीच संविधान बदलने को लेकर काफी तरह की आशंकाएं और चिंता चर्चा में रहीं। हालांकि, मामला बिगड़ता देख बीजेपी यह दावा करने लगी कि संविधान नहीं बदला जाएगा लेकिन जनता ने मन बना लिया। आलम यह कि 2014 और 2019 में सिर्फ अपने बल पर बहुमत का आंकड़ा पाने वाली बीजेपी इस बार अकेले बहुमत से दूर हो गई। बीजेपी ने सरकार तो बनाया है लेकिन उसे एनडीए के सहयोगी दलों पर बहुमत का आंकड़ा के लिए निर्भर रहना है।

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