सार

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चीफ एस सोमनाथ हाल ही में बेंगलुरु स्थित एशियानेट सुवर्णा न्यूज के दफ्तर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने इसरो के मिशन की कामयाबी पर बातचीत की। साथ ही सफलता के मंत्र भी दिए। 

ISRO Chief S Somanath Exclusive: ISRO चीफ S. Somanath हाल ही में बेंगलुरु स्थित एशियानेट सुवर्णा न्यूज के ऑफिस पहुंचे। इस दौरान उन्होंने इसरो के मिशन की कामयाबी को लेकर की चर्चा की। उन्होंने चंद्रयान-3, आदित्य एल-1 और गगनयान मिशन को लेकर भी बातचीत की। इसरो चीफ ने कहा- अक्सर लोग हमसे सवाल पूछते हैं कि अंतरिक्ष मिशन को कैसे सफल बनाया जाए। इस पर मैं यही कहता हूं कि अंतरिक्ष में कामयाबी का केवल एक ही रास्ता है। आप हमेशा ये सोचें कि मिशन फेल होनेवाला है और इसके लिए आप जरूरी एक्शन क्या ले सकते हैं। ऐसे वक्त आप रिलैक्स रहें तो कामयाबी आपके कदम चूमेगी।

ISRO में किसी भी रणनीति से पहले होता है डिस्कशन

एस सोमनाथ ने कहा- ISRO में ऐसी खुली संस्कृति को अपनाया गया, जहां लोग किसी भी रणनीति से पहले आपस में चर्चा करते हैं। वैसे, भी बेहतर संगठन के लिए हर किसी को डिबेट की स्थिति में होना चाहिए। संगठन में सवाल करने और अलग-अलग दृष्टिकोण पर राय देने की छूट होनी चाहिए। उन्होंने कहा- हमारा कल्चर आंतरिक रूप से बहुत डिस्कशन वाला कल्चर है। बातचीत के दौरान इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा- तमाम तैयारियों के बाद भी कई बार असफलता का मुंह देखना पड़ता है। लेकिन हमें असफलता पर निराश नहीं होना चाहिए।

कामयाबी के लिए ईगो छोड़कर आगे बढ़ना जरूरी

एस सोमनाथ ने कहा- इसरो में हमारे साथ काम करने वाले लोगों के सॉफ्टवेयर और एल्गोरिदम को बेहतर बनाना हमारा बड़ा लक्ष्य है। किसी भी संगठन की कामयाबी के लिए सबसे जरूरी चीज है कि हम ईगो छोड़कर आगे आएं। ईगो किसी भी संगठन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। लेकिन हमें इससे बाहर निकलना होगा।

निजी कंपनियों को अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रोत्साहित कर रहा ISRO

एस सोमनाथ ने कहा- ISRO निजी कंपनियों को अंतरिक्ष क्षेत्र में काम करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। भारत में कम से कम 5 कंपनियां शुरू हुईं हैं, जो सैटेलाइट बनाने के लिए तैयार हैं। टाटा ने बेंगलुरु में अपना सैटेलाइट मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए भारी इन्वेस्टमेंट किया है।

ISRO में परफॉर्मेंस के बेस पर प्रमोशन

इसरो में जो भी प्रमोशन होता है, वो कर्मचारियों की परफॉर्मेंस के आधार पर होता है। महिलाओं को कई बार कुछ पर्सनल रीजन की वजह से ज्यादा छुट्टियां लेनी पड़ती हैं, जिसका असर उनकी परफॉर्मेंस पर पड़ता है। चूंकि प्रमोशन परफॉर्मेंस बेस पर होता है, जिसके चलते कई बार महिलाओं के प्रमोशन पर इसका असर पड़ता है।

असफलता मिलने पर झेलना पड़ता है लोगों का गुस्सा

इसरो चीफ ने कहा- कई बार असफलता मिलने पर हमें अपने ही लोगों का गुस्सा और नाराजगी झेलनी पड़ती है। हालांकि, उन्होंने कहा कि 'चंद्रयान-3 की सफलता के बाद लोगों को अंतरिक्ष के बारे में जानने की रुचि और जागरुकता दोनों बढ़ी है। एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान की कामयाबी के बाद पीएम मोदी ने खुद हमसे कहा कि आप लोगों ने जनता पर काफी प्रभाव डाला है। लोग अब साइंस और टेक्निकल एजुकेशन के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहते हैं।

भारत जल्द बनेगा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी

इसरो चीफ ने विज्ञान और अन्वेषण को समान रूप से महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि भारत में रॉकेट बहुत बाद में बनाए गए और मिसाइलें तो सबसे बाद में बनाई गईं। पश्चिम देशों से तुलना करें तो भारत में टेक्नोलॉजी की प्रगति बिल्कुल विपरीत दिशा में थी। लेकिन अब जिस तरह से भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में तरक्की कर रहा है, उसे देखकर कहा जा सकता है कि आने वाले कुछ सालों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। 2047 तक हमारा लक्ष्य है कि हमारे पास भारत में एक बेहद समृद्ध स्पेस बेस्ड इंडस्ट्री हो।

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