सार

लोकसभा में आरएसपी (RSP) के प्रेमचंद्रन ने आरोप लगाया कि अपनी पसंद के अधिकारी का कार्यकाल बढ़ाने के लिए सरकार ये कदम उठा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) से कुछ दिन पहले 14 नवंबर को ही अध्यादेशों को लागू करने की जरूरत क्या थी!

नई दिल्ली। संसद (Parliament) में गुरुवार को इन्फोर्समेंट डायरेक्टर (ED) और सीबीआई (CBI) डायरेक्टर का कार्यकाल दो साल से बढ़ाकर 5 साल तक करने वाले विधेयकों का विरोध हुआ। लोकसभा में इन दोनों विधेयकों को संस्थाओं की स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाला बताया और विधेयक वापस लेने की मांग की। वहीं, भाजपा (BJP) सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौर कहा कि मोदी सरकार यथास्थिति बरकरार रखने नहीं आई है, बल्कि बदलाव के लिए आई है। बड़े अपराधों को रोकने और देश को मजबूत बनाने के लिए प्रभावी व्यवस्था बनाने की दिशा में दोनों विधेयक महत्वपूर्ण हैं। 

भाजपा ने कहा- विधेयक की भावना देखें
आरएसपी (RSP)के एन के प्रेमचंद्रन और कांग्रेस के मनीष तिवारी ने सदन में ‘केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021' और ‘दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन (संशोधन) विधेयक, 2021' पेश किए जाने का विरोध किया। दोनों नेताओं ने इनसे संबंधित अध्यादेशों को नामंजूर करने वाले सांविधिक संकल्प भी सदन में पेश किए। विधेयकों सदन में रखते हुए कार्मिक और लोक शिकायत राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि सदन में विधेयकों को पेश करते समय भी स्पष्ट किया गया था कि इस संशोधन को लेकर जितना बड़ा विवाद खड़ा किया जा रहा है, उतना बड़ा विषय नहीं है। सदस्य इसकी भावना को देखें और इस पर चर्चा करें। 

मनीष तिवारी बोले- मनमाने तरीके से लाए गए विधेयक
आरएसपी के प्रेमचंद्रन ने आरोप लगाया कि अपनी पसंद के अधिकारी का कार्यकाल बढ़ाने के लिए सरकार ये कदम उठा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) से कुछ दिन पहले 14 नवंबर को ही अध्यादेशों को लागू करने की जरूरत क्या थी! आरएसपी सांसद ने आरोप लगाया कि सरकार संसद की अनदेखी कर उसकी सर्वोच्चता को चुनौती दे रही है, जो अनुच्छेद 123 के उल्लंघन का उदाहरण है। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने भी विधेयकों का विरोध करते हुए कहा कि ये विधेयक मनमाने तरीके से लाए गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का ईडी और सीबीआई निदेशकों के कार्यकाल दो साल से बढ़ाकर एक-एक साल करके 5 साल करने का कदम अधिकारियों से अपने अनुरूप काम कराने का प्रयास है। 

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