सार

किसान आंदोलन समाप्त होने के बाद दिल्ली की सीमा पर एक साल से डटे किसान घर लौट रहे हैं। बहुत से किसान शुक्रवार को लौट गए। वहीं, बाकी बचे किसान आज विजय रैली के बाद सिंघू बॉर्डर पर आंदोलन स्थल खाली करेंगे। 

नई दिल्ली। 378 दिनों तक चले किसान आंदोलन (Farmers protest) समाप्त होने के बाद दिल्ली की सीमा पर एक साल से डटे किसान घर लौट रहे हैं। बहुत से किसान शुक्रवार को लौट गए। वहीं, बाकी बचे किसान आज विजय रैली के बाद सिंघू बॉर्डर (Singhu border) पर आंदोलन स्थल खाली करेंगे। 

बॉर्डर से किसानों की घर वापसी का सिससिला गुरुवार शाम से शुरू हुआ था। जिनके पास कम सामान थे वे संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आंदोलन समाप्त करने की घोषणा के बाद ही दिल्ली की सीमा छोड़कर घर लौट गए। जिन किसानों ने ठहरने के लिए बड़े-बड़े मंच तैयार किए थे वे शुक्रवार को दिनभर सामान समेटते नजर आए। 

किसानों ने की धरना स्थल की सफाई
घर जाने से पहले किसानों ने धरना स्थल की सफाई की। सिंघू बॉर्डर से लेकर टीकरी बॉर्डर, बहादुरगढ़ बाईपास, नया गांव चौक और आसपास के इलाके में सफाई अभियान चलाया गया। जहां-तहां लगे कूड़े के ढेर को हटाया गया। किसानों ने बहादुरगढ़ और आसपास के गांवों के लोगों का भी सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। 

जुलूस के रूप में घर लौटेंगे किसान
किसान आज सभी मोर्चे हटा लेंगे और जश्न मनाते हुए जुलूस के रूप में वापसी करेंगे। इसके साथ ही सभी टोल प्लाजा भी मुक्त कर दिए जाएंगे। हेलिकॉप्टर हादसे में शहीद हुए सीडीएस जनरल बिपिन रावत की शुक्रवार को अंत्येष्टि होने के कारण किसानों ने इस दिन जश्न नहीं मनाने का फैसला किया था। सोमवार को पंजाब के किसान संगठन के नेता श्री दरबार साहिब में माथा टेकेंगे। 15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी। इस बैठक में आंदोलन की समीक्षा होगी। 

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा सितंबर 2020 में पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठन पिछले एक साल से आंदोलन कर रहे थे। 26 नवम्बर 2020 से किसान दिल्ली की सीमाओं पर धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। 19 नवंबर 2021 को केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया। संसद में कानून वापस लेने संबंधी प्रस्ताव पास होने के बाद किसान आंदोलन खत्म करने के लिए तैयार हुए। हालांकि किसानों ने सरकार के सामने एमएसपी पर कानून बनाने समेत छह मांगें रख दी थी। 

7 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को गृह मंत्रालय ने सभी मुद्दों पर सकारात्मक सहमति का संकेत दिया। इसपर विचार के बाद किसान नेताओं ने सरकार से प्रस्तावों के तीन बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा। 8 दिसंबर को सरकार ने संशोधित प्रस्ताव भेजा। 9 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की। 

 

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