दिल्ली बॉर्डर किसान पिछले 2 महीनों से तीनों कृषि बिल के खिलाफ डटे हुए हैं। वहीं, सरकार भी अपने फैसले पर अटल है और वो लगातार किसानों को समझाने की कोशिश कर रही है। साथ ही इस मामले पर कृषि यूनियन मिनिस्टर के साथ 11 राउंड की बातचीत भी हो चुकी है।

नई दिल्ली. दिल्ली बॉर्डर किसान पिछले 2 महीनों से तीनों कृषि बिल के खिलाफ डटे हुए हैं। वहीं, सरकार भी अपने फैसले पर अटल है और वो लगातार किसानों को समझाने की कोशिश कर रही है। साथ ही इस मामले पर कृषि यूनियन मिनिस्टर के साथ 11 राउंड की बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन कोई हल नहीं निकला था। बल्कि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर प्रदर्शनकारियों का दिल्ली में उपद्रव देखने के लिए मिला था। अब किसान नेता ने यूनियन मिनिटर नरेंद्र सिंह तोमर पर अपने बयान से बदलने का आरोप लगाया है।

किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कही ये बात 

क्रांतिकारी किसान यूनियन नेता दर्शन पाल सिंह ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा कि 'तोमर साहिब ने कहा था कि कृषि कानूनों में जिससे किसानों को समस्या हो रही है, उसमें वो सुधार करने को तैयार हैं।' लेकिन कल उन्होंने कहा कि 'कृषि कानून किसानों के हित में हैं, जो कि झूठ है। हम इसकी निंदा करते हैं।' इसके अलावा दर्शन पाल सिंह ने इंटरनेशनल सेलिब्रिटीज का भारतीय किसानों को सपोर्ट करने के लिए धन्यवाद भी किया। दरअसल, 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रदर्शनकारियों के उपद्रव के बाद भी इंटरनेशनल सेलिब्रिटीज ने किसानों का सोशल मीडिया के माध्यम से जमकर सपोर्ट किया था। 

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इन्होंने किया था ट्वीट 

इंटरनेशनल पॉप स्टार रिहाना ने किसानों का सपोर्ट करते हुए बुधवार 3 फरवरी को ट्वीट किया था, 'हम इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं? हैशटैग किसान आंदोलन।' इसके साथ उन्होंने किसानों के प्रदर्शन की एक फोटो और खबर का लिंक भी शेयर किया था। 

रिहाना के बाद स्वीड‍िश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने भी किसानों से समर्थन में ट्वीट किया था। ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट कर कहा था, 'हम भारत में किसानों के आंदोलन के साथ एकजुट खड़े हैं।' इसके अलावा मियां खलीफा जैसे स्टार्स ने भी ट्वीट किए थे। हालांकि, इसके बाद भारती की ओर से जवाब दिया गया था और इनके इस ट्वीट को गैर-जिम्मेदाराना बताया गया था। 

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भारत की ओर से दिया गया था ये जवाब 

रिहाना और तमाम इंटरनेशनल सेलिब्रिटी की पोस्ट के बाद भारत की ओर से स्टेटमेंट जारी किया गया था कि 'कृषि के तीनों बिलों को संसद में पूरी बात और बहस के बाद लागू किया गया है। इन कानूनों की वजह से बाजार को बढ़ावा मिलेगा और किसानों के लिए बेहतर साबित होगा, वो अपने आपसे कहीं भी अपनी फसलों को खरीद और बेच सकेंगे। इसके साथ ही किसान आर्थिक और परिस्थितिक रूप से प्रशस्त खेती का रास्ता चुन सकेंगे।'

भारत सरकार आंदोलनकर्ताओं की भावनाओं की कदर करती है, इसलिए प्रदर्शनकारियों के नेताओं से कई बार बात की। जबकि यूनियन मिनिस्टर इसका हिस्सा भी रहे थे। सरकार की ओर से इस मुद्दे पर 11 बार बात हो चुकी है। यहां तक की सरकार की ओर से इन कानूनों को होल्ड पर रखने का भी ऑफर दिया गया, जो कि देश के प्रधानमंत्री से कम नहीं है।

इसके अलावा MEA की ओर से कहा गया, 'इस आंदोलन में कुछ लोगों का एजेंडा भी शामिल है, जो कि प्रदर्शनकारियों को उनके पथ से भटकाने काम कर रहे हैं। सभी ने 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के मौके पर सबकुछ देखा। गणतंत्र दिवस के इस मौके पर देश की राजधानी में दंगा किया गया, जो लोग इस आंदोलन में अपने पर्सनल एजेंडा को ला रहे हैं उन्हें भारत के खिलाफ इंटरनेशनली सपोर्ट मिल रहा है। दुनियाभर के कई हिस्सों में भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के साथ तोड़फोड़ की गई। ये सब बस भारत को परेशान करने के लिए किया जा रहा है। इंडियन पुलिस फोर्स की ओर से इन प्रदर्शनकारियों को हैंडल किया जा रहा है। इस बात पर भी गौर फरमाया जा सकता है कि इस आंदोलन में सैकड़ों महिला और पुरुष पुलिसकर्मी बुरी तरह से घायल हो गए।'

सोशल मीडिया पर कमेंट करने वालों को भारत ने जवाब दिया और उनके लिए लिखा, 'इस मामले को लेकर कुछ भी कहने से पहले इसकी पूरी तरीके से जांच कर लें और जानकारी ले लें फिर कोई बात कहें। स्पेशली उनके कमेंट्स जो इंटरनेशनल सेलिब्रिटी हैं और आंदोलन को लेकर कमेंट कर रहे हैं। वो सही नहीं और ये गैर-जिम्मेदाराना है।'

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