सार

एक वैश्विक संस्था ने रिपोर्ट जारी की है कि भारत में अमीर और गरीब के आय के बीच गहरी खाई बनती जा रही है। देश की राष्ट्रीय आय का अधिकांश हिस्सा एक प्रतिशत आबादी के पास है। गरीबी और असमानता में लगातार वृद्धि हो रही है। 

नई दिल्ली। वैश्विकक असमानता पर रिपोर्ट (Global inequality report) करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय संस्था की भारत में गरीबी और अत्यधिक असमानता वाली रिपोर्ट को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने खारिज कर दिया है। रिपोर्ट में भारत को गरीब और बहुत असमान देश कहा गया है, जिसको वित्तमंत्री सीतारमण ने त्रुटिपूर्ण और संदिग्ध कार्यप्रणाली के आधार पर बनाई गई रिपोर्ट बताया है। 

भारत को लेकर क्या है विश्व असमानता की रिपोर्ट?

विश्व असमानता की रिपोर्ट के अनुसार, भारत एक गरीब और बहुत असमान देश के रूप में खड़ा है। इस देशा में शीर्ष 1 प्रतिशत आबादी के पास 2021 में कुल राष्ट्रीय आय का एक-पांचवां हिस्सा था और नीचे का आधा हिस्सा सिर्फ 13 प्रतिशत था। लैब ने पिछले साल दिसंबर में यह रिपोर्ट दी थी।

रिपोर्ट विश्व असमानता लैब (World inequality lab) के सह-निदेशक लुकास चांसल (Lucas Chancel) द्वारा लिखा गया था, और फ्रांसीसी अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी (Thomas Piketty) समेत कई विशेषज्ञों द्वारा समन्वयित किया गया था।

रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारतीय वयस्क आबादी की औसत राष्ट्रीय आय 2,04,200 रुपये है। चिंता की बात यह है कि निचली पचास प्रतिशत की आबादी का राष्ट्रीय आय 53,610 रुपये है। जबकि देश के टॉप 10 प्रतिशत लोग इसके बीस गुना कमाते हैं। यानी इन दस प्रतिशत की आय 11,66,520 से अधिक है। देश में कुछ प्रतिशत लोग बेहद अधिक कमा रहे हैं जबकि अधिसंख्य आबादी बेहद कम आय के बीच जीवन गुजर बसर कर रही है। रिपोर्ट के प्रमुख लेखक लुकास चांसल ने कहा था कि COVID-19 महामारी ने बहुत अमीर और बाकी आबादी के बीच असमानताओं को बढ़ा दिया है।

रिपोर्ट पर संसद में सीतारमण ने उठाए सवाल

सीतारमण ने मंगलवार को संसद (Nirmala Sitharaman in Sansad) में कहा कि भारत को गरीब और बहुत असमान देश बताने वाली विश्व असमानता रिपोर्ट त्रुटिपूर्ण है, और यह संदिग्ध कार्यप्रणाली पर आधारित है।

असमानताओं के विश्व मानचित्र ने यह भी दावा किया था कि राष्ट्रीय औसत आय स्तर असमानता के खराब स्थितियों को दर्शा रहे हैं। भविष्य में इससे कई विसंगतियों से सामना करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, उच्च आय वाले देशों में, कुछ बहुत असमान हैं (जैसे कि यूएस), जबकि अन्य अपेक्षाकृत समान (स्वीडन) हैं।

यह भी पढ़ें: 

125 वर्षीय स्वामी शिवानंद की विनम्रता के कायल हुए पीएम मोदी-राष्ट्रपति भी, जानिए क्यों तोड़ना पड़ा दोनों को प्रोटोकॉल

बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगवाना चाहिए या नहीं? वैक्सीन को लेकर मन में उठ रहे हर सवाल का यहां जानिए जवाब