सार
4 बार के एशियन गोल्ड मेडलिस्ट मिल्खा सिंह ने अपने करियर में कई खिताब जीते। मिल्खा सिंह ने 1956, 1960 और 1964 ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। 1960 रोम ओलिंपिक का नाम आते ही मिल्खा सिंह की 400 मीटर की फाइनल रेस की यादें ताजा हो जाती हैं।
चंड़ीगढ़। खेल जगह के चहेते ‘फ्लाइंग सिख’ मिल्खा सिंह आज अनंत में विलीन हो गए। पूरे राजकीय सम्मान के साथ भारत ने अपने प्रिय धावक को अंतिम विदाई दी। शनिवार की शाम को चंड़ीगढ़ में उनका अंतिम संस्कार किया गया। पंजाब सरकार ने मिल्खा सिंह के निधन पर एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। मिल्खा सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ चंडीगढ़ के मटका चौक स्थित श्मशान घाट में किया गया। केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू, पंजाब के राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर और हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह आदि कई हस्तियां वहां मौजूद रहीं।
पंजाब सरकार ने मिल्खा सिंह के निधन पर एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। शुक्रवार की रात 11.24 मिनट पर फ्लाइंग सिख ने आखिरी सांस ली थी। वह कोरोना संक्रमित थे। कोरोना की वजह से उनकी पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह, जोकि भारतीय वालीबाल टीम की पूर्व कप्तान भी रहीं, का निधन रविवार को हुआ था।
91 साल की उम्र में हुआ मिल्खा सिंह का निधन
91 वर्षीय पद्मश्री मिल्खा सिंह की तबियत खराब होने के बाद उन्हें 24 मई को एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। बाद में 03 जून को ऑक्सीजन लेवल में गिरावट के बाद उनहें पीजीआईएमईआर के नेहरू हॉस्पिटल एक्सटेंशन में भर्ती करवाया गया।
चार बार जीता था गोल्ड
4 बार के एशियन गोल्ड मेडलिस्ट मिल्खा सिंह ने अपने करियर में कई खिताब जीते। मिल्खा सिंह ने 1956, 1960 और 1964 ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। 1960 रोम ओलिंपिक का नाम आते ही मिल्खा सिंह की 400 मीटर की फाइनल रेस की यादें ताजा हो जाती हैं।