सार

जस्टिस नानावटी और जस्टिस अक्षय मेहता ने 2014 में 2002 के दंगों पर अपनी अंतिम रिपोर्ट गुजरात की तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सौंपी थी।

नई दिल्ली। देश को दहला देने वाले दो दंगों 1984 के सिख विरोधी दंगों (Sikh Riots 1984) और 2002 के गोधरा दंगों (Godhra Massacre) की जांच करने वाले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस गिरीश ठाकोरलाल नानावटी (Girish Thakorwal Nanvati) ने शनिवार को आखिरी सांस ली। नानावटी का गुजरात में हृदयगति रूक जाने से निधन हो गया। वह 86 साल के थे। परिजन ने उनके निधन की जानकारी दी है। 

2000 में हुए थे रिटायर

जस्टिस नानावटी का जन्म गुजरात (Gujarat) में 17 फरवरी 1935 को हुआ था। वकालत की पढ़ाई करने के बाद जस्टिस नानावटी ने साल 1958 में बॉम्बे हाई कोर्ट से अपनी लीगल प्रैक्टिस शुरू की थी। उनको पहली बार साल 1979 में गुजरात हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। इसके बाद 1993 में उन्हें उड़ीसा हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया।

1995 में बने थे सुप्रीम कोर्ट के जज

विभिन्न हाईकोर्ट्स में रह चुके जस्टिस जीटी नानावटी को साल 1995 में सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया। 6 मार्च 1995 को सुप्रीम कोर्ट में जज बनने से पहले उन्होंने उड़ीसा, गुजरात और कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस का भी पद संभाला। वे 16 फरवरी, 2000 को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए थे।

गोधरा दंगों की जांच की थी

जस्टिस नानावटी (Justice Nanavati) और जस्टिस अक्षय मेहता (Justice Akshay Mehta) ने 2014 में 2002 के दंगों पर अपनी अंतिम रिपोर्ट गुजरात (Gujarat CM) की तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल (Anandi Ben Patel) को सौंपी थी। हिंसा में मुख्य रूप से अल्पसंख्यक समुदाय (minority community) के 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे।

गोधरा रेलवे स्टेशन (Godhra Railway Station) के पास साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन (Sabarmati exprss train) के दो डिब्बों को जलाने के बाद हुए दंगों की जांच के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Then CM Narendra Modi) ने 2002 में आयोग की नियुक्ति की थी, जिसमें 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी। श्री नानावती को एनडीए सरकार (NDA Government) ने 1984 के सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए नियुक्त किया था। वह नानावती आयोग के एकमात्र सदस्य थे।

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