सार

सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का 42वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।

From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का 42वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।

नेताजी की नाक पर गुस्सा..

मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के भीतर गुस्से का ज्वालामुखी फटने की वजहें एक रहस्य बनी हुई हैं। कोई भी ये अनुमान नहीं लगा सकता कि कौन सी बात उन्हें परेशान करेगी और तीखे शब्दों में लिपटे हुए उनके गुस्से को निमंत्रण देगी। हाल ही में एक समारोह के दौरान जब विजयन अपना संबोधन खत्म करने वाले थे तो उसी दौरान अनाउंसर ने अगले शख्स के संबोधन की घोषणा की। इस दौरान अनाउंसर की आवाज में पिनराई विजयन के शब्द दब गए, जिसके बाद उन्होंने तीखी नजरों से आयोजकों को घूरा। ये क्या कल्चर है? बाहर जाने से पहले विजयन ने पूछा- मेरे समापन से पहले कोई और घोषणा कैसे कर सकते हैं। ये वाकया कुछ ही देर में वायरल हो गया। हालांकि, मामला बढ़ने के कुछ घंटों बाद, विजयन ने एक अन्य कार्यक्रम में बोलते हुए कहा- मैं केवल उस शख्स को सही कर रहा था, जिसने अनाउंस किया था। ये मेरी जिम्मेदारी है और जब भी मुझे इस तरह के प्रोटोकॉल का उल्लंघन मिलेगा तो मैं ऐसा करूंगा। इस दौरान उनके चेहरे पर जो मुस्कान थी, वो आर्टिफिशियल लग रही थी।

युवराज को लेकर चिंता..

I.N.D.I.A अलायंस को एकजुट करने की कोशिशों के बीच CPI ने एक चिंता जताई है। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया की सबसे बड़ी चिंता है कि अगर राहुल गांधी फिर से वायनाड से चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं तो क्या होगा? अगर राहुल केरल से चुनाव लड़ते हैं, जहां मुख्य विपक्ष LDF है तो I.N.D.I.A गठबंधन को आकर्षक बनाने के लिए लिखी गई पूरी स्क्रिप्ट बिखर जाएगी। हाल ही में CPI की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में केरल के एक नेता ने यह मुद्दा उठाया था। वो चाहते थे कि नेशनल लीडर राहुल गांधी को दोबारा वायनाड से मैदान में उतारने की किसी भी संभावना को पहले ही भांप लें। हालांकि, बहुत से लोगों ने उनका समर्थन नहीं किया, लेकिन केरल में UDF नेताओं द्वारा CPI के रुख की आलोचना के साथ यह मुद्दा सामने आने का खतरा है। यदि दरारें गहरी हुईं, तो I.N.D.I.A को केरल में डिफरेंट गेम की जरूरत होगी।

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गठबंधन से बाहर निकलने की धमकी..

प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई की शिकायत करने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से मिलने गए AIADMK नेताओं को खाली हाथ लौटना पड़ा। AIADMK नेता चाहते थे कि भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री अन्नादुराई और जयललिता के बारे में उनकी टिप्पणियों का हवाला देते हुए अन्नामलाई को पद से हटा दे। अन्नाद्रमुक (AIADMK) नेताओं ने 'धमकी' दी कि अगर अन्नामलाई के खिलाफ एक्शन नहीं लिया गया तो वे गठबंधन से बाहर निकल जाएंगे। लेकिन कोई भी शीर्ष नेता उनकी शिकायत मानने को तैयार नहीं था। हालांकि, भाजपा नेताओं ने इस बैठक का इस्तेमाल AIADMK पर भगवा सहयोगी के रूप में 15 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए दबाव बनाने हेतु किया।

जब भीड़ देख छूटे नेताजी के पसीने..

किसी नेता के लिए भीड़ में शामिल होना कोई नई बात नहीं है। लेकिन जयपुर में एक सीनियर कांग्रेस लीडर को इसी भीड़ ने बुरे सपने का अनुभव करा दिया। दरअसल, टिकट बंटवारे को लेकर सबकी राय के मुताबिक रिपोर्ट तैयार करने के लिए नेताजी आलाकमान के निर्देश पर जयपुर पहुंचे थे। जयपुर पहुंचने पर नेता जी को उस वक्त बुरे अनुभव से गुजरना पड़ा, जब 400 टिकट चाहने वालों की भीड़ ने उनकी कार को घेर लिया। हर एक के पास अपना अपडेट बायोडाटा था और सभी नेताजी का ध्यान खींचने की कोशिश में जुटे थे। उमड़ती भीड़ को देखकर नेता जी ने कार के भीतर ही बैठे रहना मुनासिब समझा। महत्वाकांक्षी नेताओं से घिरे रहने के बावजूद नेताजी कार से बाहर ही नहीं निकले। दरअसल, नेता जी इतने डर गए थे कि उन्हें सिक्योरिटी के लिए राज्य के एक नेता को फोन करना पड़ा। जल्द ही नेता जी को कार से बाहर निकाला गया। सूत्रों ने बताया कि दो घंटे के आराम के बाद ही वे कुछ बोल सके। इस दौरान उनके मुंह से जो पहली बात निकली वो ये थी- टिकट बंटवारे पर चर्चा के लिए अब जयपुर की यात्रा नहीं करूंगा।

राजनीतिक नैतिकता..

कई लोग मानते हैं कि राजनीति में नैतिकता विलुप्त होती जा रही है। कर्नाटक में संघ ने दिखाया है कि आज के परिदृश्य में भी कैसे इसकी प्रैक्टिस की जा सकती है। बिजनेसमैन गोविंदा बाबू पुजारी को हिंदू नेता चैत्रा कुंडापुर ने टिकट दिलाने का वादा किया था। लेकिन जब अंतिम सूची की घोषणा की गई तो बहुत कोशिश करने के बाद भी पुजारी को लिस्ट में अपना नाम नहीं मिला। हालांकि, पुजारी ने उडुपी में भाजपा नेताओं से शिकायत की, लेकिन उन्हें मतदान समाप्त होने तक चुप रहने की सलाह दी गई। दरअसल, उन्हें बिंदूर में गुरुराज गेंटिहोल के लिए काम करने का निर्देश दिया गया था। असहाय पुजारी ने शिकायत का मसौदा तैयार किया और इसे चैत्रा के साथ इस उम्मीद से शेयर किया कि शायद इस आइडिया से उनके पैसे वापस मिल जाएंगे। लेकिन चैत्रा ने उन्हें न सिर्फ धमकाया बल्कि उनके ऑफिस में सुसाइड का ड्रामा भी किया। बाद में संघ नेताओं ने समाधान निकालने के लिए अभिनव हलश्री और गगन सहित चैत्रा के साथियों के साथ बैठक की। लेकिन वे जिम्मेदारी टालने का खेल करते रहे। इसके बाद पुजारी ने संघ नेताओं से शिकायत की और उन्हें पुलिस में शिकायत दर्ज करने की सलाह दी गई ताकि रिश्वत लेने के लिए पार्टी के नाम का इस्तेमाल करने वाले किसी भी व्यक्ति पर रोक लगाई जा सके।

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