सार

सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का दसवां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।

From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का 11वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।

टैबलेट में खोए दिखे 'युवराज..'

डिजिटाइजेशन वाकई काफी तेजी से बढ़ रहा है। बजट के दौरान वित्त मंत्री के भाषण में इसे साफतौर पर देखा गया। वो दिन लद गए, जब वित्त मंत्री के हाथ में फाइल होती थी, जिस पर छपे बजट को वे सदन में पढ़ती थीं। निर्मला सीतारमण ने उभरते हुए डिजिटल इंडिया के शुभंकर को दिखाते हुए एक टैबलेट से बजट भाषण पढ़ा। वित्त मंत्री के अलावा एक अन्य शख्स, जो अपने टैबलेट (आईपैड) में पूरी तरह खोया हुआ था, वो कोई और नहीं बल्कि राहुल गांधी थे। हालांकि, वे बजट तो नहीं पढ़ रहे थे लेकिन कुछ हैवी टेक्स्ट फाइलों को स्क्रॉल करते नजर आए। गैलरी से यह भी साफ दिख रहा था कि उनका स्मार्ट फोन ज्यादातर समय टेबल पर ही पड़ा रहा। हालांकि, राहुल गांधी की तरह दूसरे लोगों के पास स्मार्ट फोन इतना उपेक्षित नहीं दिखा। क्योंकि, वित्त मंत्री जब अपना बजट भाषण पढ़ रही थीं, तो उस वक्त कई सांसद स्मार्ट फोन की स्क्रीन पर व्यस्त नजर आए।

मोबाइलवीर तीसमारखां...

संसद की विजिटर्स गैलरी में कुछ ऐसे लोग भी नजर आए, जो खुद को बहादुर या चतुर समझ रहे थे। उन्हें लग रहा था कि नियमों को ताक पर रखते हुए अपने फोन को अंदर लाकर उन्होंने बहुत बड़ा काम किया है। कई बार तो उनके फोन की घंटियां भी सुनी गईं। ये बात अलग है कि ये घंटी इनकमिंग मैसेज टोन की थी। आश्चर्य की बात ये है कि अगर इन फोन की घंटियों को मार्शलों ने सुना या देखा होता तो उनका क्या होता। इस तरह के लोगों का वर्णन करने के लिए हमने 'बहादुर' शब्द का इस्तेमाल इसलिए किया, क्योंकि इनमें से एक को तो सदन के भीतर भी फोन पर बात करते हुए देखा गया, जबकि कई बड़े मंत्री और सांसद भी ऐसा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।

ऐन मौके पर मैडम की धांसू एंट्री...

बजट भाषण शुरू होने से पहले ही सत्ता पक्ष का हिस्सा लगभग पूरा भर चुका था। यहां तक ​​कि विपक्षी सदस्य भी अंदर आ चुके थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब 10 बजकर 57 मिनट पर आए तो अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और सत्ता पक्ष के अन्य दिग्गज उम्मीद के मुताबिक ही अपनी-अपनी जगह पर बैठे हुए थे। लेकिन सत्र शुरू होने से ठीक एक मिनट पहले 10 बजकर 59 मिनट पर सोनिया गांधी अंदर आईं और आगे की लाइन में फारूक अब्दुल्ला के बगल में जाकर बैठ गईं।

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हमसे का भूल हुई, जो ये सजा हमका मिली..

बजट से पहले सोनिया गांधी के सदन में पहुंचने के ठीक बाद दो अन्य शख्सियतों ने भी एक अलग स्टाइल में एंट्री की। सबसे पहले, शशि थरूर आए और जैसा कि सब जानते हैं कि वो एक लोकप्रिय सांसद हैं। लेकिन आश्चर्य की बात तो शत्रुघ्न सिन्हा थे, जो काफी देर से पहुंचे थे। ठीक 11 बजकर 53 मिनट पर जब वे पहुंचे तो उनके आते-आते आधे से ज्यादा बजट भाषण पूरा हो चुका था। हालांकि, शॉटगन को देखकर न तो किसी ने रिस्पांस दिया और ना ही कोई रिएक्शन। सिन्हा साहब कुछ देर तक खड़े देखते और सोचते रहे कि किसी ने उन्हें नोटिस किया भी या नहीं। जब ये कन्फर्म हो गया कि उनकी तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया, तो वे चुपचाप बैठ गए और इधर-उधर देखने लगे। हालांकि, इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ।

चोरी-चोरी, चुपके-चुपके...

हालांकि, शशि थरूर सदन में कुछ ऐसा करते पकड़े गए, जिसे वो नहीं चाहते थे कि दुनिया को पता चले। दरअसल, थरूर ने अपनी जेब से कुछ निकाला और उसे खाने के बाद रैपर को बगल वाली खाली सीट के सामने लगे पॉकेट में डाल दी। शायद वो इस बात से पूरी तरह आश्वस्त थे, कि उन्हें कोई नहीं देख रहा है। लेकिन वो ये भूल गए थे कि ठीक उनके उपर बैठे सैकड़ों लोगों की निगाहें उनकी ही तरफ थीं।

मोदी-मोदी vs भारत जोड़ो...

बजट में वित्त मंत्री के भाषण के दौरान जब भी सरकार या देश की कोई बड़ी उपलब्धि की बात सामने आती थी, तो सत्ता पक्ष अक्सर मोदी-मोदी का नारा लगाने लगता था। वहीं, विपक्षी सदस्य खासकर कांग्रेस फौरन भारत जोड़ो चिल्लाने लगते थे। हालांकि, कांग्रेस को बाकी विपक्ष से भी यही उम्मीद थी कि वे भी उनके साथ शामिल होंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं, क्योंकि बाकी लोग केवल देखते और मुस्कुराते रहे।

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