सार

केंद्र सरकार ने भारत के बड़े पैमाने पर कोरोना टीकाकरण अभियान के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। टीकाकरण अभियान के पहले चरण के तहत सरकार लगभग 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने की योजना बना रही है, जिसमें स्वास्थ्य सेवा और उसके साथ काम करने वाले और 50 साल से अधिक आयु के लोग शामिल हैं।

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने भारत के बड़े पैमाने पर कोरोना टीकाकरण अभियान के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। टीकाकरण अभियान के पहले चरण के तहत सरकार लगभग 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने की योजना बना रही है, जिसमें स्वास्थ्य सेवा और उसके साथ काम करने वाले और 50 साल से अधिक आयु के लोग शामिल हैं।

लोगों तक कैसे पहुंचेगी कोरोना वैक्सीन?

  • प्रति दिन लगभग 100 से 200 लोगों का टीकाकरण किया जाएगा 
  • किसी भी रिएक्शन से निपटने के लिए टीकाकरण के बाद 30 मिनट तक  निगरानी की जाएगी।
  • टीकाकरण टीम में पांच सदस्य शामिल होंगे
  • कोविंद वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (Co-WIN) सिस्टम एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसका उपयोग रियल टाइम के आधार पर टीकाकरण और एंटी-कोरोनावायरस टीकों के लिए सूचीबद्ध लाभार्थियों को ट्रैक करने के लिए किया जाएगा। मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस सहित बारह फोटो-पहचान दस्तावेज , Co-WIN वेबसाइट पर पंजीकरण के लिए आवश्यकता होगी।
  • टीकाकरण स्थल पर केवल पूर्व-पंजीकृत लाभार्थियों को प्राथमिकता के अनुसार टीका लगाया जाएगा, और मौके पर पंजीकरण के लिए कोई प्रावधान नहीं होगा। 

हाल ही में सरकार ने कहा था कि वह बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान के पहले चरण में कोविड टीकों की 60 करोड़ खुराक देने के लिए अपनी विशाल चुनावी मशीनरी को तैनात करेगी। 

90 साल की महिला को दी गई दुनिया की पहली वैक्सीन

कोरोना महामारी में वैक्सीन लगाने की शुरुआत हो चुकी है। ब्रिटेन की 90 साल की महिला मार्गरेट कीनन फाइजर कोविड -19 वैक्सीन लेने वाली दुनिया की पहली महिला बन गई हैं। उन्होंने इंग्लैंड के कोवेंट्री में स्थानीय अस्पताल में सुबह 6.31 बजे वैक्सीन दी गई। मार्गरेट कीनन ज्वैलरी शॉप की पूर्व सहायक रही हैं। उन्हें यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल कोवेंट्री में वैक्सीन लगाई गई।

देश में 3 जगहों पर बन रही है कोरोना वैक्सीन  

देश में 3 जगहों पर कोरोना वैक्सीन बन रही है। सबसे पहले बात अहमदाबाद की। यहां पर जायकोव-डी नाम की कोरोना वैक्सीन बन रही है। बनाने वाली कंपनी का नाम जायडस बायोटेक है। यह गुजरात के चांगोदर इंडस्ट्रियल एरिया में है। वैक्सीन का फेज-3 का ट्रायल्स शुरू हो चुका है। अब बात हैदराबाद की। यहां के प्लांट में भारत बायोटेक नाम की कंपनी कोवैक्सिन बना रही है। तीसरे फेज का काम जारी है। उम्मीद है कि जनवरी तक नतीजे आ जाएंगे। पुणे में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कोवीशील्ड नाम की वैक्सीन बना रही है। ट्रायल आखिरी दौर में है।