सार

केंद्र सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के तहत कैदियों के लिए विशेष छूट की योजना बनाई है। जिसमें महिला कैदियों को प्राथमिकता के आधार पर रिहा किया जाएगा। 
 

नई दिल्ली.50 साल से अधिक उम्र की हजारों महिला कैदियों और ट्रांसजेंडर्स दोषियों के लिए अच्छी खबर है। केंद्र सरकार की योजना है कि महिलाओं की सजा को चरणबद्ध तरीके से कम किया जाएगा। यह जेलों में उनके व्यवहार के अधीन होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह योजना आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए है। इस योजना के तहत 60 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष कैदी और शारीरिक रूप से दिव्योंगों को भी शामिल किया जाएगा। ऐसे कैदी जिन्होंने अपनी आधी सजा पूरी कर ली है, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। 

क्या है सरकार की योजना
सरकार की योजना के अनुसार गरीब या निर्धन कैदी, जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है, लेकिन उन पर लगे जुर्माने की वजह से जेलों में बंद हैं, उन्हें भी जुर्माने से छूट देकर लाभान्वित किया जाएगा। गृह मंत्रालय ने कहा कि यह योजना उन कैदियों पर लागू नहीं होती है जिन्हें मौत की सजा, आजीवन कारावास, बलात्कार, आतंक के आरोप, दहेज हत्या और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में दोषी ठहराया गया है। छूट के लिए विचार किए जाने वाले कैदियों के लिए पात्रता मानदंड में वे अपराधी शामिल हैं, जिन्होंने जेलों में अपनी अवधि के दौरान लगातार अच्छा आचरण बनाए रखा है। 

क्या भारत के जेलों की हालत
2020 के आधिकारिक अनुमान के अनुसार भारत की जेलों में बहुत भीड़ है। आंकड़ों के अनुसार करीब 4.03 लाख की वास्तविक क्षमता के मुकाबले भारतीय जेलों में लगभग 4.78 लाख कैदी हैं। कुल बंदियों में महिलाओं की संख्या करीब एक लाख है। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को गृह मंत्रालय ने पत्र लिखा है। जिसके अनुसार पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले कैदियों को तीन चरणों 15 अगस्त 2022, 26 जनवरी 2023 और 15 अगस्त 2023 में रिहा किया जाएगा।  

इनकी होगी रिहाई
- 50 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिला कैदी
- 50 वर्ष से उपर के ट्रांसजेंडर कैदी
- 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के पुरुष अपराधी
- शारीरिक रूप से अक्षम और 70 प्रतिशत विकलांगता वाले दिव्यांग
- अपनी सजा की आधी सजा पूरी करने वाले बुजुर्ग
- सजा पूरी लेकिन जुर्मान की वजह से जेल में हैं

क्या होगा पूरा प्रासेस
गृह मंत्रालय के अनुसार वरिष्ठ सिविल और पुलिस अधिकारियों की राज्य स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा गहन जांच के बाद कैदियों को रिहा करने पर विचार किया जाना चाहिए। जिन व्यक्तियों ने 18-21 वर्ष की कम उम्र में अपराध किया है और उनके खिलाफ कोई अन्य आपराधिक मामला नहीं है। न्होंने अपनी सजा अवधि का 50 प्रतिशत पूरा कर लिया है, उन्हें भी विशेष छूट के लिए विचार किया जाएगा। गृह मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मौत की सजा के दोषी व्यक्ति या जहां मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया है। किसी ऐसे अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है जिसके लिए मौत की सजा को सजा के रूप में निर्दिष्ट किया गया है। साथ ही आजीवन कारावास की सजा पाने वाले कैदियों की रिहाई पर विचार नहीं किया जाएगा।

किनको नहीं मिलेगी छूट
- हत्या के आरोपी, उम्रकैद की सजा पाने वाले
- आतंकवाद के आरोप में बंद कैदी
- विस्फोटक अधिनियम, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत बंद
- आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत दोषी
- अपहरण विरोधी अधिनियम, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के दोषी
- दहेज हत्या, जाली नोटों, मानव तस्करी, धन शोधन के आरोप के दोषी
- बलात्कार के लिए दोषी ठहराए गए लोगों को भी छूट नहीं मिलेगी

विदेशी नागरिकों को भी मदद
राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन को गृह मंत्रालय द्वारा राज्य स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी का गठन करने की सलाह दी गई है। उच्चस्तरीय अधिकारियों की समिति सभी कैदियों के रिकॉर्ड की समीक्षा करेगी। समिति पात्र कैदियों की पहचान करेगी जो छूट के लिए निर्धारित शर्तों को पूरा करते हैं। फिर पात्र दोषियों को विशेष छूट योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा। ऐसे मामले जहां कानून के अनुसार केंद्र सरकार की मंजूरी आवश्यक है, गृह मंत्रालय को उसकी सहमति के लिए भेजा जाएगा। विदेश मंत्रालय के अनुसार विदेशी नागरिकों के मामलों को सिफारिशें के लिए गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा। राज्यपाल को विदेश मंत्रालय की मंजूरी प्राप्त करने के लिए कहा गया है। 

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