सार

जम्मू कश्मीर सरकार ने शनिवार(13 अगस्त) को प्रतिबंधित आतंकवादी समूह हिजबुल मुजाहिदीन के स्वयंभू प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के बेटे और अल्पसंख्यकों(गैर मुस्लिम) पर जानलेवा हमले में शामिल एक अलगाववादी की पत्नी समेत चार कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। 

श्रीनगर.  जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंक के खिलाफ एक और बड़ा एक्शन लिया है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने शनिवार(13 अगस्त) को प्रतिबंधित आतंकवादी समूह हिजबुल मुजाहिदीन(banned terror group Hizbul Mujahideen) के स्वयंभू सरगना सैयद सलाहुद्दीन के बेटे और अल्पसंख्यकों(गैर मुस्लिम) पर जानलेवा हमले में शामिल एक अलगाववादी की पत्नी समेत चार कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। अधिकारियों ने कहा कि चारों को कथित तौर पर भारत के खिलाफ काम करने वाली ताकतों से संबंध रखने और दुष्प्रचार फैलाने के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया है। उन्हें संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत बर्खास्त किया गया है, जो सरकार को अपने कर्मचारियों को बिना किसी जांच के बर्खास्त करने की पावर देता है।

आतंकवादी का तीसरा बेटा है, जिसे बर्खास्त किया गया
बर्खास्त कर्मचारियों में सलाहुद्दीन (सैयद मोहम्मद युसूफ) का बेटा और कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज डिपार्टमेंट में मैनेजर (इन्फॉर्मेशन एंड आईटी) सैयद अब्दुल मुईद भी शामिल है। वह हिज़्ब प्रमुख का तीसरा बेटा हैं, जिसे सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया गया है। आतंकवादी के दो बेटे सैयद अहमद शकील और शाहिद यूसुफ को पिछले साल सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। अधिकारियों के अनुसार, मुईद को पंपोर के सेम्पोरा में जम्मू और कश्मीर उद्यमिता विकास संस्थान (JKEDI) परिसर पर तीन आतंकी हमलों में कथित रूप से भूमिका निभाते हुए पाया गया है। संस्था में उसकी उपस्थिति से अलगाववादी ताकतों के साथ सहानुभूति बढ़ी है।

बिट्टा कराटे की पत्नी भी बर्खास्त
फारूक अहमद डार उर्फ ​​'बिट्टा कराटे' की पत्नी असबाह-उल-अर्जमंद खान और 2011 बैच की जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा की अधिकारी (जेकेएएस) पर पासपोर्ट के लिए झूठी जानकारी देने में शामिल होने का आरोप है। इस पर उन विदेशी लोगों के साथ संबंध होने का आरोप है, जो आतंकी संगठन आईएसआई से जुड़े होने के कारण  भारतीय सुरक्षा और खुफिया द्वारा लिस्टेड किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में भारत विरोधी गतिविधियों के लिए फंडिंग की खेप ले जाने में भी उसकी संलिप्तता की सूचना मिली है। बिट्टा कराटे टेरर फंडिंग से जुड़े एक मामले में 2017 से तिहाड़ जेल में बंद है। वह 1990 के दशक की शुरुआत में अल्पसंख्यक समुदाय के कई सदस्यों की हत्याओं में भी शामिल था। उसे 'पंडितों का कसाई' कहा जाता था।

यह भी जानें
साथ ही कश्मीर विश्वविद्यालय में पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ कंप्यूटर साइंस में वैज्ञानिक के पद पर तैनात डॉ. मुहीत अहमद भट को भी सरकार से बर्खास्त कर दिया गया है। उस पर आरोप है कि वह पाकिस्तान और उसके प्रतिनिधियों के कार्यक्रम और एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए छात्रों को कट्टरपंथी बनाकर विश्वविद्यालय में अलगाववादी-आतंकवादी एजेंडे के प्रचार में शामिल रहा है। कश्मीर विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर माजिद हुसैन कादरी पर प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा सहित आतंकवादी संगठनों के साथ लंबे समय से संबंध होने का आरोप है। वि पहले भी कड़े जन सुरक्षा कानून( Public Safety Act ) के तहत पकड़ा जा चुका है।

अब तक 40 कर्मचारी बर्खास्त
जम्मू-कश्मीर में अब तक लगभग 40 कर्मचारियों को सरकारी सेवाओं से बर्खास्त किया जा चुका है। इनमें दागी पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र सिंह (अब बर्खास्त) भी शामिल हैं, जिन्हें श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय हाईवे के किनारे एक मोस्ट वांटेड आतंकवादी और दो अन्य लोगों के साथ पकड़ा गया था। बर्खास्त कर्मचारी केवल इसके खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। बर्खास्तगी की प्रक्रिया पिछले साल अप्रैल में शुरू हुई, जब केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने राज्य विरोधी गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की संलिप्तता के आरोपों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया और इसमें शामिल पाए गए लोगों की बर्खास्तगी की सिफारिश की। 

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