सार

27वें दिन भी किसानों का आंदोलन जारी है। दिल्ली बॉर्डर पर दिन निकलते ही किसानों ने एक बार फिर से एनएच 9 को पूरी तरह से जाम कर दिया है। दिल्ली से गाजियाबाद आने वाली लेन पर भी किसान बैठे हैं। एनएच 9 को कल दोपहर से पूरी तरह जाम कर दिया गया था। 

नई दिल्ली. 27वें दिन भी किसानों का आंदोलन जारी है। दिल्ली बॉर्डर पर दिन निकलते ही किसानों ने एक बार फिर से एनएच 9 को पूरी तरह से जाम कर दिया है। दिल्ली से गाजियाबाद आने वाली लेन पर भी किसान बैठे हैं। एनएच 9 को कल दोपहर से पूरी तरह जाम कर दिया गया था। किसानों का आरोप है कि कुठार, पूरणपुर आदि में यूपी गेट आ रहे किसानों की ट्रालियां रोकी गई हैं, जिसके बाद आज सुबह किसानों ने एनएच-9 को पूरी तरह से बंद कर दिया है। वहीं सोमवार देर रात एक बुजुर्ग किसान ने जहर खा कर जान देने की कोशिश की, हांलाकि समय रहते उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया है जहां उनकी हालत खतरे से बाहर है।

कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली और आसपास डटे किसानों ने आंदोलन और तेज करने की कवायद शुरू कर दी है। किसानों ने सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की है। किसानों का समूह बारी-बारी से 24 घंटे की भूख हड़ताल पर बैठ रहा है। इधर पांच दौर की बैठक विफल रहने के बाद सरकार ने प्रदर्शन कर रहे किसानों से अगले दौर की बातचीत के लिए तारीख तय करने को कहा है। सरकार 40 किसान संगठनों से बातचीत के लिए तैयार है।

बुजुर्ग किसान ने की जान देने की कोशिश 
सिंघु बॉर्डर पर एक बुजुर्ग किसान ने जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की है। किसान का नाम निरंजन सिंह और वह  पंजाब के तरनतारन के रहने वाले हैं। सोमवार रात 12:45 बजे के करीब निरंजन सिंह ने जहर खाया। इसके बाद उन्हें आनन-फानन में रोहतक पीजीआई में भर्ती कराया गया है, जहां वह खतरे से बाहर हैं। निरंजन सिंह ने जहर खाने से पहले एक नोट भी लिखा है।

आज होगा वार्ता प्रस्ताव पर फैसला 
केंद्र सरकार द्वारा किसान संगठन नेताओं के पास रविवार देर रात भेजे गए वार्ता के प्रस्ताव पर संयुक्त मोर्चा की मंगलवार को होने वाली बैठक में फैसला होगा। 32 किसान संगठनों के अधिकांश नेता केंद्र सरकार के उक्त प्रस्ताव को रस्मी मान रहे हैं। लेकिन सरकार के साथ बातचीत करनी है अथवा नहीं, इसका फैसला संयुक्त मोर्चा के नेता सामूहिक रूप से लेंगे। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार ने रविवार को पत्र किसान संगठनों के पास भेजा है, उसमें कुछ भी नया नहीं है। सरकार की ओर से ठोस समाधान का प्रस्ताव आता है तो किसान हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं। लेकिन इस बार भी तीनों कृषि कानूनो के संशोधन पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया है, इस पत्र में कुछ भी नया नहीं है।