सार

मानवीय हस्तक्षेप (Manual scavenging) के बिना सेप्टिक टैंक ( septic tanks) की सफाई के बारे में सोचना मुश्किल था। लेकिन मद्रास आईआईटी (IIT Madras) ने एक ऐसा रोबोट (Robot) बनाया है जो चुटकियों में सेप्टिक टैंक की सफाई कर देगा। 

नई दिल्ली. इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी मद्रास के शोधकर्ताओं ने कमाल का रोबोट तैयार किया है। यह बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के सेप्टिक टैंक की सफाई करेगा। इसका नाम होमोसेप रखा गया है। फिलहाल तमिलनाडु के लिए ऐसे 10 रोबोट तैयार करने की योजना है। अधिकारियों ने बताया कि वे सफाईकर्मियों के संपर्क में ताकि उन स्थानों की पहचान की जा सके, जहां इन रोबोट की जरूरत है। गुजरात व महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई है। अधिकारी ने कहा कि अगले चरण में रोबोट को उन जगहों पर तैनात किया जाएगा, जो पूरी तरह से मानवीय हस्तक्षेप को खत्म कर देंगे।

दो रोबोट कर रहे काम
वर्तमान समय में दो होमोसेप यूनिट्स को रूथ मैरी नामक स्वयं सहायता समूह को दिए गए हैं। वहीं एक रोबोट नागम्मा को दिया गया है, जिनके पति की सफाई के दौरान हुई दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। सफाई कर्मचारी आंदोलन नामक एनजीओ का मदद यह डिस्ट्रीब्यूशन किया गया है। आईआईटी मद्रास के डिपार्टमेंट आफ मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर प्रभु राजगोपाल ने बताया कि सेप्टिक टैंक में अक्सर जहरीली गैस निकलती है। क्योंकि उसमें सूखा व गीला मानव मल होता है, जिससे दो-तिहाई टैंक भरा होता है। यही कारण है कि हर वर्ष सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान सैकड़ों सफाईकर्मियों की मौत हो जाती है।

कैसे काम करेगा रोबोट
राजगोपाल ने बताया कि HomoSEP में कस्टम-विकसित रोटरी ब्लेड होता है जो सेप्टिक टैंकों में कठोर गंदगी को साफ कर देता है। इसके साथ ही इसकी मशीनरी टैंक के घोल को पंप कर सकता है। उन्होंने कहा कि जरूरी सुरक्षा उपायों के साथ ही आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इसके बाद सफाईकर्ता इस रोबोट को संचालित कर पाएंगे। इस पूरी प्रक्रिया पर टीम काम कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। 

कैसे हुआ HomoSEP का विकास
HomoSEP का विकास राजगोपाल की देखरेख में फाइनल ईयर के छात्र दिवांशु कुमार ने पहली बार किया। इसका कॉन्सेप्ट आईआईटी मद्रास के कार्बन जर्प चैलेंज 2019 के दौरान सामने आया। आईआईटी मद्रास से सपोर्ट मिलने के बाद इसका विकास किया गया। बीते कुछ वर्षों में महामारी की वजह से आई दिक्कतों के बावजूद HomoSEP का विकास किया गया। जिसमें आईआईटी मद्रास रिसर्च व आईआईटी मद्रास इंक्यूबेटेड स्टार्टअप इंटीग्रीटी प्राइवेट लिमिटेड से सहयोग से यह संभव हो पाया। बाद में गेल इंडिया व कैपजेमिनी ने अपने सीएसआर इनीशिएटिव ने रोबोट तैयार करने में सहयोग किया।

सामाजिक समस्या होगी हल
राजगोपाल ने कहा कि इसके विकास से सेप्टिक टैंक की सफाई जैसी सामाजिक समस्या हल होगी। उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि यह समस्या बड़ी और चुनौतीपूर्ण है लेकिन सबके सहयोग से हम इसे बेहतर विकसित कर पाएंगे। सफाई कर्मचारी आंदोलन के नेशनल कोर टीम मेंबर दीप्ति सुकुमार ने कहा कि हमारी उम्मीद है कि सभी जगहों पर सीवेज सफाई के लिए इस तरह के मैकेनिज्म को बढ़ावा मिलना चाहिए। 

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