सार
दक्षिण पश्चिम मानसून(southwest monsoon) की सक्रियता के चलते पूर्वोत्तर राज्यों में भारी बारिश से आई बाढ़ ने हालात खराब कर दिए हैं। इस बीच मानसून गुजरात के कुछ हिस्सों, महाराष्ट्र के अधिकांश हिस्सों, दक्षिण मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में आगे बढ़ गया है। IMD आजकल में कई राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है।
मौसम डेस्क. भारत मौसम विज्ञान विभाग(India Meteorological Department) ने तटीय कोंकण क्षेत्र और मध्य महाराष्ट्र में 18 जून से भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। दक्षिण पश्चिम मानसून(southwest monsoon) की सक्रियता के चलते मध्य महाराष्ट्र के कोंकण और आसपास के घाट क्षेत्रों में बारिश की गतिविधि 18 जून से धीरे-धीरे बढ़ने की उम्मीद है। इस दौरान अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है। (यह तस्वीर नोएडा की है, जहां भारी बारिश से ट्रैफिक बाधित हुआ)
मानसून के बारे में यह भी जानें
दक्षिण पश्चिम मानसून(southwest monsoon) की सक्रियता के चलते पूर्वोत्तर राज्यों में भारी बारिश से आई बाढ़ ने हालात खराब कर दिए हैं। इस बीच मानसून गुजरात के कुछ हिस्सों, महाराष्ट्र के अधिकांश हिस्सों, दक्षिण मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में आगे बढ़ गया है। IMD आजकल में कई राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। IMD ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून उत्तरी अरब सागर, गुजरात, पूरे मध्य महाराष्ट्र और मराठवाड़ा क्षेत्र के कुछ और हिस्सों में आगे बढ़ गया है। मानसून दक्षिण मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों, विदर्भ के अधिकांश हिस्सों, पूरे तेलंगाना, दक्षिण छत्तीसगढ़ के कुछ क्षेत्रों, दक्षिण ओडिशा, तटीय आंध्र प्रदेश के अधिकांश हिस्सों, पश्चिम मध्य के कुछ और हिस्सों और बंगाल की उत्तर-पश्चिम खाड़ी के कुछ और हिस्सों में भी आगे बढ़ा है।
मानसून के आगे बढ़ने की स्थितियां बेहतर
मौसम विभाग ने यह भी कहा कि मानसून ने पूरे उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल को कवर कर लिया है, जो वर्तमान में बारिश का सामना कर रहा है। क्षेत्रीय मौसम निदेशक जीके दास ने कहा कि कोलकाता और पड़ोस में प्री-मानसून की बारिश हुई। दक्षिण पश्चिम मानसून के आजकल में गंगीय पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ने की संभावना है। ओडिशा, बिहार और झारखंड के कुछ हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं। अगले 4-5 दिनों में गंगीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार और झारखंड में गरज के साथ अच्छी बारिश होने की संभावना है।
इन राज्यों में बारिश या भारी बारिश की संभावना
आजकल में पूर्वोत्तर भारत में मध्यम से भारी बारिश के साथ एक या दो स्थानों पर बहुत भारी बारिश का अनुमान लगाया गया है। उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम, पूर्वोत्तर बिहार, केरल के कुछ हिस्सों, तटीय कर्नाटक, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक, तमिलनाडु के आंतरिक हिस्सों, रायलसीमा और तेलंगाना में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश संभव है। पंजाब और लक्षद्वीप लक्ष्यदीप में एक-दो स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। बिहार, झारखंड, गंगीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर और पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों, पूर्वी गुजरात, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हल्की बारिश संभव है।
इन राज्यों में हुई बारिश
पूर्वोत्तर भारत के उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम के कुछ हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश का दौर जारी है। आंतरिक तमिलनाडु, लक्षद्वीप के कुछ हिस्सों और दक्षिण-पूर्व राजस्थान और उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ 1-2 स्थानों पर भारी बारिश दर्ज की गई।
बिहार, मध्य प्रदेश, केरल, तटीय कर्नाटक, कोंकण और गोवा, रायलसीमा, तटीय आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों, तेलंगाना के कुछ हिस्सों, आंतरिक ओडिशा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में हल्की से मध्यम बारिश होती रही। झारखंड, पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश, पूर्वी हरियाणा, दिल्ली, दक्षिण गुजरात, मध्य महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हल्की बारिश का दौर चलता रहा।
मौसम में बदलाव की ये हैं बड़ी वजहें
स्काईमेट वेदर(skymet weather) के अनुसार, एक ट्रफ रेखा हरियाणा से उत्तर प्रदेश, बिहार, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम और असम होते हुए नागालैंड तक एक्टिव है। दक्षिण-पश्चिम राजस्थान पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। क्या ट्रफ रेखा इस चक्रवाती परिसंचरण से उत्तर पश्चिमी अरब सागर तक फैली हुई है।
एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र हरियाणा और आसपास के इलाकों में निचले स्तरों पर सक्रिय है। जबकि एक और चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र पाकिस्तान के मध्य भाग पर बना हुआ है। एक चक्रवाती परिसंचरण(cyclonic circulation) बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व में समुद्र तल से 1.5 से 5.8 किमी ऊपर है। रायलसीमा से कोमोरिन क्षेत्र तक निचले स्तर पर एक ट्रफ रेखा बनी हुई है। एक अन्य चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र उत्तरी तमिलनाडु और आसपास के क्षेत्र में समुद्र तल से लगभग 3.1 ऊपर है।
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