सार

आयकर विभाग( Income Tax Department) ने 7 दिसंबर को पश्चिम बंगाल में रिफाइंड लेड, लेड एलॉय और लेड ऑक्साइड के दो प्रमुख मेन्युफैक्चरिंग और सप्लायर्स के बंगाल और उत्तर प्रदेश राज्यों में फैले 24 परिसरों पर सर्च कार्यवाही की। सर्च के दौरान ऐसे कई दस्तावेज हाथ लगे, जिससे पता चलता है कि इन कंपनियों ने फर्जी खरीद(bogus purchases) और महंगी खरीदी(inflation of purchases) दिखाकर टैक्स चोरी की है।

नई दिल्ली. आयकर विभाग ( Income Tax Department) ने पश्चिम बंगाल की दो फर्मों पर एक बड़ी सर्च कार्यवाही को अंजाम दिया। आयकर विभाग ने रिफाइंड लेड, लेड एलॉय और लेड ऑक्साइड की दो मेन्युफैक्चरिंग और सप्लायर्स कंपनियों के बंगाल और उत्तर प्रदेश राज्यों में फैले 24 ठिकानों पर 7 दिसंबर को कार्यवाही की।

250 करोड़ की गड़बड़ी की आशंका
सर्च के दौरान ऐसे कई दस्तावेज हाथ लगे, जिससे पता चलता है कि इन कंपनियों ने फर्जी खरीद(bogus purchases) और महंगी खरीदी(inflation of purchases) दिखाकर टैक्स चोरी की है। इन कंपनियों ने करीब 250 करोड़ रुपए की गड़बड़ी की है। इन दोनों कंपनियों ने अलग-अलग लोगों, कंपनियों के नाम पर फर्जी खरीदारी की। फर्जी स्टॉक रजिस्टर, ट्रांसपोर्टेशन डाक्यूमेंट्स और ई-बिल तैयार किए। जब्त दस्तावेजों से पता चलता है कि इन दोनों कंपनियों ने अच्छे गुणवत्ता वाले सामान की जगह खरीदे गए सामान का अधिक मूल्य दर्शाया। तलाश अभियान के दौरान 53 लाख रुपए कीमत की ज्वेलरी जब्त की। इनके 4 बैंक लॉकर्स खोले जाना बाकी हैं।

इससे पहले गुजरात में हुई थी सर्च
आयकर विभाग(Income Tax Department) ने अहमदाबाद में 23 नवंबर को एक बड़े व्यापारिक समूह के परिसरों की तलाशी ली थी। यह व्यापारिक समूह अहमदाबाद में मुख्य तौर पर स्टेनलेस स्टील और धातु के पाइपों का व्यापार करता है। इस दौरान अहमदाबाद और मुम्बई स्थित समूह के 30 से अधिक परिसरों पर छापा मारा गया था। तलाशी अभियान के दौरान बड़े पैमाने पर आपत्तिजनक दस्तावेज, फुटकर कागजात, डिजिटल प्रमाण आदि बरामद हुये, जिन्हें जब्त कर लिया गया। इन सबूतों में समूह की अघोषित आय का पूरा हिसाब-किताब दर्ज है, जिस पर देय टैक्स नहीं दिया गया था। सबूतों के शुरूआती विश्लेषण से पता चला है कि समूह माल और स्क्रैप की नकदी बिक्री करता रहा है, जिसका कोई हिसाब नहीं रखा गया है। बही-खातों में इसे दर्ज नहीं किया गया है। इसके अलावा, अघोषित नकदी को कर्ज में देना और उस पर ब्याज वसूलना, नकदी खर्च, खर्च का जाली हिसाब, आदि का भी पता चला है। ये सारे आपराधिक सबूत हैं। समूह के मुख्य कर्ता-धर्ता की व्हॉट्सैप-चैट भी पकड़ी गई है, जिसे डिलीट कर दिया गया था। इससे पता चला है कि समूह ने कर-योग्य आय को कम दिखाने के इरादे से खातों में भारी हेर-फेर किया है। कुछ बेनामी सम्पत्तियों का भी पता चला है।

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