सार

INDIA के नेताओं ने दावा किया है कि वे लोग सीट शेयरिंग के लिए एक सर्वमान्य फार्मूला तय करने के करीब पहुंच चुके हैं। जल्द ही सीटों के बंटवारे का भी ऐलान कर दिया जाएगा।

INDIA alliance parties seat sharing Formula: लोकसभा चुनाव को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि INDIA गठबंधन को फेल करने के लिए केंद्र सरकार समय से पहले चुनाव कराने पर सहमत हो सकती है। दरअसल, सत्ताधारी दल बीजेपी को यकीन है कि INDIA में शामिल दलों के बीच सीटों के शेयरिंग को लेकर झगड़ा तय है और गठबंधन दल जबतक अपनी सीट शेयरिंग के मुद्दे में उलझे रहे उसके पहले चुनाव का बिगुल बज जाए। हालांकि, INDIA के नेताओं ने दावा किया है कि वे लोग सीट शेयरिंग के लिए एक सर्वमान्य फार्मूला तय करने के करीब पहुंच चुके हैं। जल्द ही सीटों के बंटवारे का भी ऐलान कर दिया जाएगा।

किस फार्मूले पर काम कर रहा INDIA गठबंधन?

दरअसल, INDIA गठबंधन के बैनर तले विपक्षी दलों ने एकजुटता दिखाते हुए लोकसभा चुनाव 2024 के लिए एक मंच पर आने का निर्णय लिया। गठबंधन का उद्देश्य बीजेपी को लोकसभा चुनाव में टक्कर देना। विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने इसके लिए यह प्रस्ताव दिया है कि एक ऐसा फार्मूला तय हो जिससे हर सीट पर INDIA का केवल एक प्रत्याशी ही चुनाव मैदान में उतरे। यानी एनडीए बनाम INDIA का मुकाबला लोकसभा चुनाव में हो। इस प्रस्ताव के प्रति सोच यह है कि विपक्षी मतों का बिखराव या बंटवारा न हो। हालांकि, राजनीति के जानकार, इस एकजुटता पर संदेह भी जता रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि INDIA गठबंधन में तमाम ऐसे घटक दल हैं जो राज्यों में एक-दूसरे के आमने-सामने हैं या उनके बीच पुरानी राजनीतिक लड़ाई है। ऐसे में इन दलों के बीच आम सहमति आसानी से बने यह समझ के परे है। क्योंकि हर सीट पर कई-कई प्रमुख दलों की दावेदारी है और कोई भी संभावित प्रत्याशी पीछे हटना नहीं चाहेगा।

कुछ राज्यों में समझौते आसान तो कुछ में बेहद मुश्किल

INDIA के जानकारों की मानें तो कई राज्यों में सीटों के बंटवारे पर कोई खास दिक्कतें नहीं आएगी लेकिन कुछ राज्यों में सीटों की शेयरिंग को लेकर टकराहट हो सकती। जैसे महाराष्ट्र में INDIA के प्रमुख दल कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना यूबीटी पहले से ही सहयोगी हैं। ऐसे में इनके बीच सीटों को लेकर आसानी से समझौता हो सकता है। वहीं, पश्चिम बंगाल में सीटों की शेयरिंग में टकराहट तय है। क्योंकि राज्य में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हैं। बीते उपचुनाव में ही पश्चिम बंगाल के धुपगुड़ी में कांग्रेस-सीपीएम बनाम टीएमसी के बीच मुकाबला रहा। जबकि बीजेपी भी मैदान में थी।

100 सीटों पर सीधे कांग्रेस और बीजेपी

देशभर की करीब 100 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां सीधे कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबला है। यहां INDIA गठबंधन को सीट शेयरिंग में कोई दिक्कत नहीं होने वाली है। जम्मू-कश्मीर की पांच लोकसभा सीटों पर भी कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के बीच शेयरिंग में कोई विशेष अड़चन नहीं आएगी। माना जा रहा है कि महाराष्ट्र की 48 सीटों पर भी कुछ खास तय नहीं करनी। बिहार में जदयू, राजद, कांग्रेस और वामपंथी दलों के अलावा कुछ छोटे दल भी हैं। यहां 40 सीटों के बंटवारे का फार्मूला क्या होगा, यह देखना है।

पंजाब और दिल्ली में फंसनी है पेंच

दरअसल, पंजाब और दिल्ली में INDIA को बीजेपी से लड़ने के पहले आपसी झगड़े को दूर करने का फार्मूला तय करना होगा। दिल्ली में सात और पंजाब में 13 सीटें हैं। दोनों दलों के नेता सभी सीटों पर लड़ने का दावा अपने-अपने तरह से कर रहे हैं। दोनों राज्यों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी प्रतिद्वंद्वी भी हैं। हालांकि, दिल्ली विधेयक को लेकर दोनों दलों के बीच थोड़ी दूरियां कम हुई लेकिन स्थानीय नेता, दोनों दलों के अभी समझौता के मूड में नहीं दिख रहे हैं। उधर, गुजरात की 26 सीटों पर पहले तो मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही था लेकिन दो विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की एंट्री के बाद अब INDIA को एक आम सहमति बनानी होगी। हालांकि, राज्य के आप प्रमुख पहले ही कह चुके हैं कि सीटों की शेयरिंग होगी।

बंगाल और केरल में कैसे बनेगी आम सहमति

INDIA के लिए सीटों की शेयरिंग में पश्चिम बंगाल और केरल में सबसे अधिक दिक्कतें आ सकती हैं। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी तीन बार से लगातार मुख्यमंत्री हो रही हैं। वह राज्य में कम्युनिस्ट पार्टी व कांग्रेस के अलावा पैठ बनाने में जुटी बीजेपी के साथ एकसाथ मोर्चा ले रही हैं। ममता बनर्जी ने सीपीएम को ही सत्ता से हटाकर राज्य की बागडोर थामी थी। बीते चुनाव में भी टीएमसी से ही सभी लड़े। एकतरफा जीत हासिल करने वाली ममता बनर्जी, INDIA के घटक दलों कांग्रेस व सीपीएम के साथ सीटों की शेयरिंग में क्या फार्मूला अपनाएगी यह एक यक्ष प्रश्न है। सूत्रों की मानें तो बंगाल की 42 सीटों पर शेयरिंग का पूरा दारोमदार ममता बनर्जी का ही होगा। देखना यह होगा कि कांग्रेस के साथ तो ममता बनर्जी जा सकती हैं लेकिन क्या मुख्य प्रतिद्वंद्वी वाम मोर्चे को भी अपने राज्य में साथ लेंगी? केरल में भी हालत इसी तरह है। कांग्रेस और वाम मोर्चा काफी सालों से एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हैं। यहां भी सीटों की शेयरिंग पर आम सहमति एक बड़ा करिश्माई काम हो सकता।

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