सार
INS विक्रांत (first indegenous aircraft carrier as INS Vikrant) पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है। इसे भारतीय नौसेना के इन-हाउस वॉरशिप डिज़ाइन ब्यूरो (WDB) द्वारा डिज़ाइन किया गया है, जबकि कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने बनाया है।
कोच्चि. देश को आज अपना पहला स्वदेशी INS विक्रांत (first indegenous aircraft carrier as INS Vikrant) मिल गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोच्चि में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में इसे नौसेना को सौंपा। यहां पहुंचने पर पीएम को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। प्रधान मंत्री नरेंद्र ने नौसेना के नए ध्वज का अनावरण किया। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, सीएम पिनाराई विजयन और अन्य गणमान्य व्यक्ति यहां मौजूद रहे। एयरक्राफ्ट कैरियर IAC विक्रांत की कमीशनिंग समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा-अमृतकाल' के प्रारंभ में INS विक्रांत की कमीशनिंग अगले 25 वर्षों में राष्ट्र की सुरक्षा के हमारे मजबूत संकल्प को दर्शाती है।
विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है
मोदी ने कहा-आज केरल के समुद्री तट पर हर भारतवासी, एक नए भविष्य के सूर्योदय का साक्षी बन रहा है। आईएनएस विक्रांत पर हो रहा ये आयोजन विश्व क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है। विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है।विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यदि लक्ष्य दुरन्त(कठिन) हैं, यात्राएं दिगंत(लंबी) हैं, समंदर और चुनौतियां अनंत हैं- तो भारत का उत्तर है विक्रांत। आजादी के अमृत महोत्सव का अतुलनीय अमृत है विक्रांत। आत्मनिर्भर होते भारत का अद्वितीय प्रतिबिंब है विक्रांत। पिछले समय में इंडो-पैसिफिक रीजन और इंडियन ओशन में सुरक्षा चिंताओं को लंबे समय तक नजरंदाज किया जाता रहा। लेकिन, आज ये क्षेत्र हमारे लिए देश की बड़ी रक्षा प्राथमिकता है। इसलिए हम नौसेना के लिए बजट बढ़ाने से लेकर उसकी क्षमता बढ़ाने तक, हर दिशा में काम कर रहे हैं। वैसे ही भारत का एक-एक नागरिक 'वोकल फॉर लोकल' के मंत्र को जीना प्रारंभ कर देगा, तो देश को आत्मनिर्भर बनने में अधिक समय नहीं लगेगा।
गौरव का अनमोल अवसर
मोदी ने कहा- ये हर भारतीय के लिए गौरव का अनमोल अवसर है। ये हर भारतीय का मान, स्वाभिमान बढ़ाने वाला अवसार है। मैं इसके लिए हर भारतीय को बधाई देता हूं।आज भारत विश्व के उन देशों में शामिल हो गया है, जो स्वदेशी तकनीक से इतने विशाल एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण करता है। आज आईएनएस विक्रांत ने देश को एक नए विश्वास से भर दिया है, देश में एक नया भरोसा पैदा कर दिया है।आज विक्रांत को देखकर समंदर की ये लहरें, आह्वान कर रही हैं, अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़-प्रतिज्ञ सोच लो प्रशस्त पुण्य पंथ हैं, बढ़े चलो-बढ़े चलो। INS विक्रांत के हर भाग की अपनी एक खूबी है, एक ताकत है, अपनी एक विकासयात्रा भी है। ये स्वदेशी सामर्थ्य, स्वदेशी संसाधन और स्वदेशी कौशल का प्रतीक है। इसके एयरबेस में जो स्टील लगी है, वो स्टील भी स्वदेशी है। अब इंडियन नेवी ने अपनी सभी शाखाओं को महिलाओं के लिए खोलने का फैसला किया है। जो पाबन्दियां थीं वो अब हट रही हैं। जैसे समर्थ लहरों के लिए कोई दायरे नहीं होते, वैसे ही भारत की बेटियों के लिए भी अब कोई दायरे या बंधन नहीं होंगे।
विक्रांत पर अनेक महिला सैनिक तैनात होंगी
मोदी ने कहा- विक्रांत जब हमारे समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिए उतरेगा, तो उस पर नौसेना की अनेक महिला सैनिक भी तैनात रहेंगी। समंदर की अथाह शक्ति के साथ असीम महिला शक्ति, ये नए भारत की बुलंद पहचान बन रही है। रामधारी सिंह दिनकर जी ने अपनी कविता में लिखा था- नवीन सूर्य की नई प्रभा, नमो, नमो।
नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो...आज इसी ध्वज वंदना के साथ मैं ये नया ध्वज नौसेना के जनक छत्रपति वीर शिवाजी महाराज को समर्पित करता हूं। आज 2 सितंबर, 2022 की ऐतिहासिक तारीख को, इतिहास बदलने वाला एक और काम हुआ है। आज भारत ने, गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया है। आज से भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला है।
छत्रपति वीर शिवाजी महाराज ने इस समुद्री सामर्थ्य के दम पर ऐसी नौसेना का निर्माण किया, जो दुश्मनों की नींद उड़ाकर रखती थी। जब अंग्रेज भारत आए, तो वो भारतीय जहाजों और उनके जरिए होने वाले व्यापार की ताकत से घबराए रहते थे। इसलिए उन्होंने भारत के समुद्री सामर्थ्य की कमर तोड़ने का फैसला लिया। इतिहास गवाह है कि कैसे उस समय ब्रिटिश संसद में कानून बनाकर भारतीय जहाजों और व्यापारियों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए।
रूस ने सराहा: "INS विक्रांत आकांक्षाओं और आत्मनिर्भर भारत का एक असाधारण प्रतीक है। यह भारत के लिए गर्व का क्षण है कि उन्होंने एक स्वदेशी युद्धपोत का निर्माण किया। भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है और दिखाया है कि वह एक प्रमुख वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। दुनिया को मजबूत भारत की जरूरत"-भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव
यह भी जानें
बता दें कि विक्रांत 'आत्मनिर्भर भारत' का एक सशक्त उदाहरण है। प्रधानमंत्री विशेष रूप से रणनीतिक क्षेत्रों(strategic sectors) में आत्मानिर्भर भारत के प्रबल समर्थक रहे हैं। डिफेंस सेक्टर में 'आत्मनिर्भरता' की दिशा में यही शिप एक महत्वपूर्ण कदम है। आईएनएस विक्रांत स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित देश का पहला विमानवाहक पोत है। इसे भारतीय नौसेना के इन-हाउस वॉरशिप डिज़ाइन ब्यूरो (WDB) द्वारा डिज़ाइन किया गया है, जबकि कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने बनाया है। भारत के समुद्री इतिहास में ऐसा एयरक्राफ्ट कैरियर पहले कभी नहीं बनाया गया है। बता दें कि पीएम मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) दो दिन के कर्नाटक और केरल के दौरे पर हैं। वे 1 सितंबर को यहां पहुंचे थे।
जानिए क्या है इसकी खासियत
एयरक्राफ्ट करियर यानी समुद्र में तैरता एयरफोर्स स्टेशन। यानी इस शिप से फाइटर जेट्स, मिसाइलें, ड्रोन्स उड़कर दुश्मन को जमींदोज कर सकते हैं। ये धरती और आसमान पर दुश्मनों को टार्गेट कर सकते हैं। INS Vikrant को दुनिया के 10 सबसे शक्तिशाली विमानवाहक युद्धपोतों में गिना जाता है। इसका नामकरण भारत के शानदार पूर्ववर्ती विमान वाहक के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसमें बड़ी संख्या में स्वदेशी उपकरण और मशीनरी हैं, जिसमें देश के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से अधिक एमएसएमई(Ministry of Micro, Small and Medium Enterprises) ने अपना योगदान दिया है। विक्रांत के चालू होने के साथ भारत के पास दो ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर होंगे, जो देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे। 25 अगस्त को भारतीय नौसेना के वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे (Vice Admiral SN Ghormade) ने कहा था कि आईएनएस विक्रांत के शामिल होने से हिंद महासागर समेत पूरे इंडो पैसिफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी।
स्पेशल स्टील से बना है आईएनएस विक्रांत
देश की सार्वजनिक क्षेत्र की महारत्न स्टील उत्पादक कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने देश के पहले स्वदेशी रूप से निर्मित एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत के लिए सारी डीएमआर ग्रेड स्पेशियलिटी स्टील की आपूर्ति की है। कंपनी ने इस बड़ी उपलब्धि को हासिल करने के साथ “आत्मनिर्भर भारत” के निर्माण की दिशा में भागीदारी निभाते हुए, भारतीय नौसेना के इस पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर के निर्माण के लिए करीब 30000 टन डीएमआर ग्रेड स्पेशियलिटी स्टील की आपूर्ति की है। भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत चालू होना भारत की आजादी के 75 साल के अमृतकाल के दौरान देश के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है और यह देश के आत्मविश्वास और कौशल का प्रतीक भी है। यह स्वदेशी विमानवाहक पोत देश के तकनीकी कौशल एवं इंजीनियरिंग कौशल का प्रमाण है।
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