सार
PM मोदी ने पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव गारू को भारत रत्न देने की घोषणा करते हुए ट्वीट किया।PM मोदी ने एक्स पोस्ट पर लिखा कि यह बताते हुए मुझे खुशी हो रही है कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री पीवी नरसिम्हा राव गारू को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।
नरसिम्हा राव गारू। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री पीवी नरसिम्हा राव गारू को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। इस बात की जानकारी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स के माध्यम से दी है। इससे पहले देश के एक और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भी भारत रत्न देने की घोषणा की गई है। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री श्री पीवी नरसिम्हा राव गारू को भारत रत्न देने की घोषणा करते हुए ट्वीट भी किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पोस्ट पर लिखा कि यह बताते हुए मुझे खुशी हो रही है कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री पीवी नरसिम्हा राव गारू को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। एक प्रतिष्ठित विद्वान और राजनेता के रूप में नरसिम्हा राव गारू ने विभिन्न क्षमताओं में भारत की बड़े पैमाने पर सेवा की। उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई वर्षों तक संसद और विधानसभा सदस्य के रूप में किए गए कार्यों के लिए समान रूप से याद किया जाता है। उनका दूरदर्शी नेतृत्व भारत को आर्थिक रूप से उन्नत बनाने, देश की समृद्धि और विकास के लिए एक ठोस नींव रखने में सहायक था।
नरसिम्हा राव गारू के कार्यकाल की कि तारीफ
पीएम मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव गारू का कार्यकाल महत्वपूर्ण उपायों द्वारा चिह्नित किया गया था, जिसने भारत को वैश्विक बाजारों के लिए खोल दिया, जिससे आर्थिक विकास के एक नए युग को बढ़ावा मिला। इसके अलावा, भारत की विदेश नीति, भाषा और शिक्षा क्षेत्रों में उनका योगदान एक ऐसे नेता के रूप में उनकी बहुमुखी विरासत को रेखांकित करता है, जिन्होंने न केवल महत्वपूर्ण परिवर्तनों के माध्यम से भारत को आगे बढ़ाया बल्कि इसकी सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को भी समृद्ध किया।
पीवी नरसिम्हा का राजनीतिक करियर
पीवी नरसिम्हा राव का पूरा नाम पामुलापार्थी वेंकट नरसिम्हा राव था। पीवी नरसिम्हा का जन्म 28 जून 1921 में करीम नगर गांव हैदराबाद में हुआ था। वो देश के 9वें प्रधानमंत्री थे। नरसिम्हा राव को आर्थिक सुधारों के जनक के रूप में भी जाना जाता है। उन्हें संगीत और साहित्य जैसे विभिन्न क्षेत्रों की अच्छी समझ थी।
उन्हें हिंदी और तेलुगु के अलावा और कई तरह की विदेशी भाषाओं का ज्ञान था, जिसमें फ्रांसीसी और स्पेनिश भाषा शामिल है। वे ये भाषाएं बोल और लिख भी सकते थे. साल 1962 से लेकर 1971 तक आंध्र प्रदेश के एक मजबूत राजनेता थे। उन्होंने साल 1971 से 1973 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पद कार्यभार भी संभाला।